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सरोजिनी नायडू गर्ल्स कॉलेज की छात्रा शुभांगी हाथी पाव जैसी खतरनाक बीमारी से पीडि़त है…

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कॉलेज में सीएम शिवराज सिंह के आने की सूचना मिली तो वह खुद को रोक नहीं सकी। पिता की हेल्प से शिवानी अपने हाथी जैंसे भारी-भरकम पैरों के साथ कॉलेज पहुंची, लेकिन अपनी बीमारी के संकोच के कारण अंदर नहीं गई। वह सीढ़ियों पर ही बैठ गई। जब सीएम वहां से निकले तो उनकी नजर लड़की पर गई। उसकी हालत देखकर सीएम भावुक हो गए। वह खुद को रोक नहीं पाए और बगैर कुर्सी के ही लड़की के पास ही बैठ गए।हम बात कर रहे हैं सरोजिनी नायडू गर्ल्स कॉलेज में पढ़ने वाली सेकेंड ईयर की छात्रा शुभांगी जैन की। वह हाथी पाव जैसी खतरनाक बीमारी से पीड़ित है। वह कॉलेज में चल रहे एनुअल फंक्शन में पहुंची थी। सीएम ने शुभांगी की बीमारी के कागज मंगाए हैं। देश में कहां अच्छा इलाज हो सकता है। उसकी पूरी व्यवस्था सरकार करेगी।

सरोजिनी नायडू कॉलेज में पढ़ने वाली शुभांगी जैन एक ऐसी बीमारी से पीड़ित है, जिसकी वजह से अब उनका चलना फिरना लगभग बंद हो गया है। पहले तो वह जैसे-तैसे कर कॉलेज आ जाती थी, लेकिन अब बीमारी इतनी बिगड़ गई है कि बगैर मदद के वह कॉलेज भी नहीं आ सकती है।

सीएम के लिए पहले कुर्सी बुलाई गई, लेकिन सीएम ने सीढ़ियों पर ही बैठकर शुभांगी से बातचीत की। शुभांगी ने अपनी बीमारी के बारे में मुख्यमंत्री को पूरी जानकारी दी। अब स्थिति यह हो गई है कि वह बिना किसी की मदद के कॉलेज भी नहीं आ सकती है। यह सुनने के बाद सीएम भावुक हो गए। उन्होंने शुभांगी के सिर पर हाथ फेरते हुए पूरा इलाज कराने की व्यवस्था के निर्देश दिए।सीएम ने पूछा कि इस बीमारी का इलाज किस शहर में हो सकता है। मुझे इसकी पूरी जानकारी चाहिए। मुख्यमंत्री ने शिवांगी को आश्वस्त किया कि वे जल्द ही इस बीमारी के सही इलाज की जानकारी लेकर इलाज के लिए भेजेंगे। उसे चिंता करने की जरूरत नहीं है। इलाज का खर्चा सरकार उठाएगी। उन्होंने शुभांगी को दुलार करते हुए कहा सब ठीक हो जाएगा। प्राचार्य मंजुला शर्मा ने बताया कि शुभांगी पढ़ाई-लिखाई में बहुत ही अच्छी छात्रा है, लेकिन बीमारी से पीड़ित होने के चलते उसका मनोबल गिर रहा है।

पीड़ित छात्रा के पिता डॉ. आरके जैन ने बताया कि बेटी अभी 18 साल हुई है। डॉक्टरों ने जो बीमारी बताई है उसका नाम न्यूरो फाइबर मैटिस है। डॉक्टरों के अनुसार शुभांगी 18 साल पूरे करने पर ही पैर का ऑपरेशन किया जा सकता है। दवाईयों से इसका इलाज संभव नहीं है। ऑपरेशन ही इसका अंतिम इलाज। इसका इलाज दिल्ली एम्स में संभव हो सकता है। उन्होंने बताया कि शुभांगी का पैर का वजन लगभग 70-80 किलो हो गया है। उसे उठाने के लिए 2 लोगों की जरूरत पड़ती है। जबकि शुभांगी का वजन करीब 40 साल ही होगा।

 

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