राज्यसभा में बहस के दौरान कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि कुछ लोग बहुत अच्छी टिप्पणी जरूर कर सकते हैं, लेकिन जरूरी नहीं वे अच्छे प्रशासक भी हों. दरअसल, चिदंबरम ने एक लेख में कहा था कि वर्तमान मुख्य आर्थिक सलाहकार एक अच्छे डॉक्टर नहीं है, जिसके जवाब में जेटली ने चिदंबरम को उनके कार्यकाल की याद दिलाई. जेटली ने कहा, ‘जब दस साल तक अर्थव्यवस्था टेरीबल (भयानक) डॉक्टर के हाथों में हो तो एक स्वस्थ मरीज का हाल कैसा होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है.’ बता दें कि पी. चिदंबरम यूपीए सरकार के दोनों कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे हैं.
कांग्रेस के आरोपों का करारा जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि एनडीए के शासन में देश की आर्थिक स्थिति यूपीए के शासनकाल की तुलना में बेहतर है. उन्होंने ये भी कहा कि यूपीए के कार्यकाल में महंगाई दहाई के अंक में थी जबकि मोदी सरकार के तीन सालों में यह दो से तीन प्रतिशत के आस पास रही है.
उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि जीडीपी का 5.9 प्रतिशत राजकोषीय घाटा रखने वाली पार्टी आज उन्हें यह भाषण दे रही है कि उन्होंने राजकोषीय घाटा 3.2 प्रतिशत पर क्यों नहीं नियंत्रित रखा. अपनी दलीलों को मजबूती देने के लिए वित्त मंत्री ने सदन के सामने तमाम आंकड़ें भी रखे. उन्होंने कहा कि हम हवा में सवाल उठा सकते हैं और हर तरह की जानकारी के भ्रम के नीचे रह सकते हैं, लेकिन सच यह है कि हमारा विश्लेषण गलत हो सकता है, मगर डेटा नहीं.जेटली ने कहा कि 2012-13 में यूपीए के तहत जीडीपी विकास दर 5.3 प्रतिशत थी, जबकि एनडीए में सबसे कम विकास दर 6.3 प्रतिशत रही. उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष की शुरुआत में एक तिमाही के दौरान गिरावट दर्ज की गई, क्योंकि कारोबार खराब हो रहा था और विनिर्माण में कमी आई है और विकास दर 5.7 फीसदी के स्तर पर आ गई है.
जेटली ने विपक्ष के आरोप का जवाब देते हुए ये भी कहा कि सरकार वित्तीय घाटे के लक्ष्य को पार कर रही है. जेटली ने बताया, ‘यूपीए सरकार के पिछले तीन वर्षों में राजकोषीय घाटा 5.9%, 4.9% और 4.5% रहा, जबकि मोदी सरकार के पिछले तीन सालों में राजकोषीय घाटा 4.1%, 3.9% और 3.5% रहा है.बता दें कि बजट पेश होने के बाद से कांग्रेस लगातार मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है. खासकर, पी. चिदंबरम बजट के अलग-अलग पहुलओं को लेकर सीधे वित्त मंत्री अरुण जेटली को निशाने पर ले रहे हैं.