बताया गया है कि कभी बाघों से आबाद रहे सतकोशिया टाइगर रिजर्व में मात्र एक बाघ का जोड़ा बचा है, जो अपनी औसत आयु पार कर चुका है। पिछले कुछ दिनों से मात्र एक बाघ ही कैमरे में ट्रैप हो रहा है। इन बाघों के समाप्त होने से रिजर्व में बाघ का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा।
ऐसे में ओडिशा सरकार द्वारा लिखे गए पत्र और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की तकनीकी समिति की बैठक के बाद राज्य शासन ने ओडिशा को छह बाघ भेजने का निर्णय लिया है। इससे ओडिशा में बाघों का कुनबा वापस बढ़ सकेगा। प्रधान मुख्य वन संरक्षक जितेंद्र अग्रवाल ने सोमवार को बताया कि सतकोशिया टाइगर रिजर्व के बाघों का जेनेटिक नेचर मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ और कान्हा टाइगर रिजर्व के बाघों से मिलता-जुलता है।
पूर्व में मध्यप्रदेश से ओडिशा तक बाघ कॉरिडोर होने के भी प्रमाण हैं। आशा है, इससे मध्यप्रदेश के बाघ ओडिशा के नए वातावरण में आराम से अभ्यस्त हो जाएंगे। अग्रवाल ने बताया कि मध्यप्रदेश बाघ शून्य हो चुके पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों के पुनर्वासन के साथ 30 बाघों को सफलतापूर्वक स्थानांतरित कर चुका है। ओडिशा को स्थानांतरण के पहले उनके विभागीय अमले को रिलीज प्रोटोकॉल का प्रशिक्षण दिया जाएगा। ओडिशा के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) संबित त्रिपाठी पिछले दिनों इस संबंध में मध्यप्रदेश का दौरा कर चुके हैं।