सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया है कि आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जा चुका और सजायाफ्ता शख्स कैसे किसी राजनीतिक दल का प्रमुख बन सकता है? कोर्ट ने यह भी कहा कि जो खुद चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो चुका है, वह कैसे उम्मीदवार चुन सकता है? चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इसे कोर्ट के फैसले के खिलाफ बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार जवाब दे। सरकार ने जवाब देने के लिए समय मांगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तीन हफ्ते की मोहलत देते हुए अगली सुनवाई 26 मार्च को तय कर दी।
चीफ जस्टिस ने कहा कि यह गंभीर मामला है। कोर्ट ने पहले आदेश दिया था कि चुनाव की शुद्धता के लिए राजनीति में भ्रष्टाचार का विरोध किया जाना चाहिए। चूंकि ऐसे लोग इस मामले में अकेले कुछ नहीं कर सकते, इसलिए अपने जैसे लोगों का एक संगठन बनाकर अपनी मंशा पूरी करते हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसा स्कूल या हॉस्पिटल चलाने के लिए किया जाए तो उसमें कोई आपत्ति नहीं, लेकिन जब बात देश का शासन चलाने की है तो मामला अलग हो जाता है। यह उनके पहले दिए गए फैसले के खिलाफ है।
सड़क हादसों में अक्सर गाड़ी को पीछे से टक्कर मारने वाले वाहन का ड्राइवर ही दोषी माना जाता है, लेकिन जरूरी नहीं कि हर बार यह बात सही हो। दुर्घटना के कारण, सबूतों और हालात पर गौर करना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सड़क हादसे के एक मामले की सुनवाई में दी।चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने टैंकर के पीछे से कार टकराने के मामले में कार ड्राइवर को लापरवाही का दोषी मानने संबंधी पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का आदेश रद्द कर दिया। कोर्ट ने हादसे में मारे गए दंपती के बच्चों को मुआवजा देने का आदेश दिया है।
हरियाणा के यमुनानगर में नेशनल हाईवे पर 15 दिसंबर 2011 को कार सड़क पर खड़े टैंकर से टकरा गई थी। ड्राइवर विनोद सैनी व पत्नी ममता की मौत हो गई। बेटा अर्चित व बेटी गौरी घायल हुए थे। अर्चित की याचिका पर यमुनानगर स्थित मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल ने टैंकर का बीमा करने वाली ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी को मुआवजा देने का आदेश दिया कंपनी ने इसे पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने एक्सिडेंट के लिए टैंकर और कार के ड्राइवर को बराबर जिम्मेदार मानते हुए मुआवजा राशि आधी कर दी थी।