पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने HPCA पर दर्ज मामले वापस लेने के बारे में राज्य सरकार की जल्दबाजी पर सवाल उठाए हैं। जारी प्रेस बयान में वीरभद्र सिंह ने कहा कि वह सरकार के इस कदम से चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि इन आपराधिक मामलों में कोर्ट संज्ञान ले चुके हैं, इसलिए HPCA से लीज मनी लेने से पहले सरकार को कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए था।
इस मामले में आखिर में कोर्ट का फैसला ही अंतिम होगा, क्योंकि सरकार अब बिना कोर्ट की मंजूरी के केस वापस नहीं ले सकती। इसलिए जल्दबाजी में फैसले लेने के बजाए सरकार कोर्ट के फैसले का इंतजार करें। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि लीज मनी लेने के फैसले पर तुरंत पुनर्विचार किया जाए।
ऐसे वक्त में जब सुप्रीम कोर्ट में भी ये मामले अंतिम चरण में हैं, राज्य सरकार के इस फैसले से वह हैरान हैं। गौरतलब है कि सरकार ने पिछले सप्ताह महाधिवक्ता से राय लेने के बाद फैसला लिया था कि HPCA से होटल पैवेलियन की लीज के बदले पिछले पांच साल का करीब 1.27 करोड़ लीज मनी लिया जाए। ये पैसा पूर्व सरकार ने पिछले 5 साल में नहीं लिया था।
वीरभद्र सिंह अब बेशक लीज मनी लेने पर आपत्ति जता रहे हों, लेकिन ये भी सच्चाई है कि पूर्व कांग्रेस सरकार के समय एचपीसीए की संपत्तियों पर ताला लगाने के खिलाफ हाईकोर्ट से आदेश होने के बाद पूर्व सरकार ने 11 नवंबर 2013 को HPCA की सारी लीज बहाल कर दी थी। अब इसी आधार पर राजस्व विभाग ने लीज मनी लेने का आदेश इस शर्त के साथ पारित किया है कि ये कोर्ट फैसले पर निर्भर करेगा।