इनका मकसद पोंजी स्कीम्स और बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करंसी पर रोक लगाना है। बिल को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद संसद में पेश किया जाएगा। जहां से पास होने के बाद यह कानून की शक्ल ले लेगा।
इस बिल के कानून की शक्ल लेने पर ऐसी डिपॉजिट स्कीम्स, जिसके लिए सरकार ने रेग्युलेशन नहीं जारी किया है, गैरकानूनी हो जाएंगे। अभी वर्चुअल करंसी में ट्रेडिंग पर कोई रेग्युलेशन नहीं है। हालांकि, देश में इसकी ट्रेडिंग बैन नहीं है। उधर, देश में बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करंसी में बढ़ रही ट्रेडिंग को लेकर आरबीआई लोगों को बार-बार आगाह कर रहा है।
उसका कहना है कि इसके लिए कोई रेग्युलेशन नहीं है और किसी तरह के नुकसान को लेकर इन्वेस्टर्स खुद जिम्मेदार होंगे। चिटफंड (संशोधन) बिल 2018 को भी मंजूरी दे दी है, जिससे पोंजी स्कीम्स पर रोक लग सकेगी। इस बिल के जरिए चिटफंड अधिनियम 2018 में बदलाव किया जाएगा। इससे चिटफंड कंपनियां नए फाइनेंशियल प्रोडक्ट बाजार में उतार सकेंगी।
संशोधन के जरिए चिटफंड कंपनियों की चलाने के तौर-तरीकों में भी बदलाव किया जाएगा। इसका मकसद देश में गैरकानूनी तरीके से चल रहीं स्कीम्स पर रोक लगाना है। बिल में इस तरह की डिपॉजिट स्कीम चलाने वालों के खिलाफ सख्त सजा तय की गई है।एक ऑनलाइन डाटाबेस बनेगा जिसमें अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीमस की पूरी जानकारी उपलब्ध होगी। कोई भी संस्था डायरेक्ट या इनडायरेक्ट, विज्ञापन के जरिए या फिर लोगो से आग्रह कर अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीम नहीं चलाएगी।
नियम तोड़ने पर कम से कम 3 और ज्यादा से ज्यादा 10 साल तक के लिए जेल की सजा हो सकती है। साथ ही जितना फंड स्कीम के तहत जुटाया गया है, उसका दो गुना तक जुर्माना भरना होगा। अगर कोई संस्था रेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीम में मियाद पूरी होने पर धोखा कर पैसा वापस नहीं चुकाए तो उसके लिए 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। जमाकर्ताओं के पैसे जुटाने के लिए संपत्ति जब्त करने का भी प्रावधान है। इसके साथ गलत तरीके से कमाए गए मुनाफे को प्रभावित लोगों के बीच बांटने की भी व्यवस्था होगी। संपत्ति जब्त करने और प्रभावित लोगों को मदद पहुंचाने का काम तय समय सीमा के अंदर होगा।