24 फरवरी को होने वाले मुंगावली और कोलारस उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने आ गई है। चुनाव आयोग द्वारा अशाेकनगर कलेक्टर को हटाने और शिवपुरी कलेक्टर पर अब तक कोई एक्शन नहीं लेने पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि दोनों कलेक्टर बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं, जबकि बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा है कि कांग्रेस ऐसे आरोप लगाकर नौकरशाहों को डराने का प्रयास कर रही है।
गौरलतब है कि कांग्रेस की शिकायत के बाद चुनाव आयोग द्वारा अशोकनगर कलेक्टर को हटा दिया गया है, जबकि शिवपुरी कलेक्टर को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पूरे मामले में कांग्रेस नेता माणक अग्रवाल ने कहा कि चुनाव आयोग के इस फैसले से यह साफ हो गया कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ी हुई थी। कांग्रेस चुनाव आयोग के इस फैसले की सराहना करती है। उधर अग्रवाल का कहना है कि शिवपुरी कलेक्टर पर भी चुनाव आयोग को एक्शन लेना चाहिए।
कांग्रेस ने अशोकनगर और शिवपुरी दोनों के खिलाफ दस्तावेजों के साथ शिकायत की थी, इसलिए शिवपुरी कलेक्टर को भी तत्काल हटाना चाहिए। कांग्रेस के इस सवाल पर बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस नौकरशाहों पर ऐसे आरोप लगाकर दबाव बना रही है और उन्हें डराने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मुंगावली में 18 हजार और कोलारस में 10 हजार वोटरों के नामों में गड़बड़ी की गई है। जांच के बाद मुंगावली में उपचुनाव के लिए बनी मतदाता सूची में 1800 फर्जी मतदाता मिले थे, जिनमें से 834 की मौत हो चुकी है। इसके बाद चुनाव आयोग ने अशोकनगर कलेक्टर बाबू सिंह जामोद को हटा दिया था।
कांग्रेस की मांग है कि शिवपुरी कलेक्टर तरुण राठी को भी तत्काल हटाया जाए क्योंकि उन्होंने मंत्री यशोधराराजे द्वारा वोटरों को धमकाने के मामले में क्लीन चिट दी है, जबकि आयोग ने राजे को इस मामले में नोटिस थमाया है। इससे साफ हो जाता है कि कलेक्टर सरकार के पक्ष में काम कर रहे हैं। मुंगावली और कोलारस उपचुनाव के पहले अशोक नगर कलेक्टर बाबू सिंह जामोद को चुनाव आयोग ने फर्जी वोटर लिस्ट मामले में हटा दिया है। बड़ी बात ये हैै कि जामोद को जिसके लिए हटाया गया। उसी वोटर लिस्ट के लिए उन्हें उत्कृष्ट कार्य करने पर मप्र राज्य निर्वाचन आयोग ने अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस से नवाजा था। गतवर्ष यह सम्मान राज्यपाल ने उन्हें प्रदान किया था