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7 बैंकों से 3,700 करोड़ की लूट रोटोमैक के मालिक पर लटकी गिरफ्तारी…

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पेन बनाने वाली कंपनी रोटोमैक के मालिक पर 37,00 करोड़ के बैंक घोटाले का आरोप लग रहा है. आरोप में ये बात भी सामने आई है कि कंपनी के मालिक ने एक-दो नहीं बल्कि सात बैंकों को लूटा है. मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी कर रही हैं. रोटोमैक ब्रांड के नाम से पेन बनाने वाली कंपनी के प्रमोटर विक्रम कोठारी के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों ने शिकंजा कस लिया है. कोठारी और उनकी कंपनी के खिलाफ सीबीआई के साथ-साथ ईडी ने अलग-अलग मामले दर्ज किये हैं. ये मामले 2008 से सात बैंकों के साथ कुल 3,695 करोड़ रुपये के कर्ज में धोखाधड़ी करने से जुड़े हैं.

सीबीआई ने बैंक ऑफ बड़ौदा, कानपुर की रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड, उसके निदेशक विक्रम कोठारी, उनकी पत्नी साधना कोठारी और उनके बेटे राहुल कोठारी के अलावा अज्ञात बैंक अधिकारियों के खिलाफ मिली शिकायत के बाद मामला दर्ज किया है. शुरू में अनुमान था कि यह घोटाला 800 करोड़ रुपये का हो सकता है. लेकिन सीबीआई की कंपनी के खातों की जांच शुरू होने के बाद यह पाया गया कि कंपनी ने कथित रूप से बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहबाद बैंक और ओरिएंटल बैंक ऑफ कामर्स से ज्यादा कर्ज लिए हैं और यह गड़बड़ी इससे कहीं अधिक की है.

सीबीआई का कहना है कि इन आरोपियों ने सातों बैंकों से मिले 2,919 करोड़ रुपये के कर्ज की हेराफेरी की है. सीबीआई का कहना है कि इनपर ब्याज़ समेत कुल बकाया राशि 3,695 करोड़ रुपये की है. मामला दर्ज करने के तुरंत बाद सीबीआई ने आरोपियों के कानुपर में तीन ठिकानों की तलाशी ली. इसमें कोठारी के घर और ऑफिस भी शामिल हैं. अबतक मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है. हालांकि कोठारी, उनकी पत्नी और बेटे से पूछताछ जरूर की गयी है.

जांच एजेंसी के अधिकारियों के अनुसार कंपनी ने कथित रूप से 2008 से सात बैंकों के ग्रुप से लिये गये कर्ज की हेराफेरी को लेकर दो तरीके अपनाये. कंपनी को जो कर्ज दिये गये, उसका उपयोग एक्सपोर्ट ऑर्डर को पूरा करने के बजाए और कामों में किया गया. सीबीआई का आरोप है कि एक्सपोर्ट ऑर्डर के लिये जो कर्ज मंजूर किये गये, उसे विदेश में दूसरी कंपनी को ट्रांसफर किया गया और बाद में कानपुर की कंपनी ने बिना एक्सपोर्ट ऑर्डर को पूरा किये उसे वापस मंगा लिया. दूसरे मामलों में बैंकों ने एक्सपोर्ट के लिये चीजों की खरीद को लेकर कर्ज दिये. इसमें भी कोई एक्सपोर्ट ऑर्डर को पूरा नहीं किया गया. यह पैसे का गबन, भरोसे का आपराधिक उल्लंघन और फेमा का उल्लंघन है. कंपनी से ज़्यादा सौदे ग्रुप की डिस्ट्रीब्यूटर कंपनियों और सहायक यूनिट्स के साथ किये गये और इनकी संख्या बहुत ज्यादा नहीं थी.

सीबीआई का आरोप है कि कंपनी स्थानीय और विदेशी मुद्रा वाले कर्जों पर ब्याज में अंतर का फायदा उठाने के लिए काम करती थी. उसने बैंकों से कर्ज के लिये कई बार फर्जी दस्तावेज जमा किये. वहीं वित्त मंत्रालय के अधीन ईडी ने भी कंपनी के प्रमोटरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. ईडी ने भी 3,695 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले में विक्रम कोठारी, उनके परिवार के सदस्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है. ईडी ने सीबीआई की एफआईआर देखने के बाद मामला PMLA के तहत दर्ज किया है.

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