सीबीआई के वकील सतीश दिनकर ने बताया कि इस मामले में नरोत्तम यादव, उसके पिता भगवान सिंह और बिचौलिए प्रभात मेहता के खिलाफ मध्यप्रदेश मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम, धोखाधड़ी, जालसाजी, और षडयंत्र के अपराध में प्रकरण दर्ज किया गया था। जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी की गयी थी, एसटीएफ ने तीनों आरोपियों के खिलाफ अदालत में चालान पेश कर दिया था। इसी बीच व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई और सीबीआई ने तीनों के साथ फर्जी परीक्षार्थी ऋषभ अग्रवाल और बिचौलिए प्रभात मेहता को भी आरोपी बनाकर पूरक चालान पेश किया था। पुलिस भर्ती के लिए व्यापमं ने सन 2012 में परीक्षा आयोजित की थी।
वहीं पूछताछ में आरोपियों ने कबूला था कि उनके बीच इस काम के लिए मोटी रकम का लेन-देन हुआ था। जिसमें सीबीआई ने कुल 29 गवाहों की सूची पेश की थी। जिनमें पहले गवाह के बयान 13 सितंबर 2017 को दर्ज किए गए थे। अदालत ने पूरे मामले की सुनवाई 5 महीने में पूरी कर आरोपियों को दोषी माना था। सीबीआई के स्पेशल जज एसी उपाध्याय ने सोमवार को सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, मंगलवार को सभी पांचों आरोपियों को 7-7 साल की सजा सुनाई गई।