बीते दिन सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि उत्तरी पूर्व के रास्ते भारत आने वाले शरणार्थियों के पीछे चीन की चाल है। उन्होंने बोला थी कि चीन की मिलीभगत से भारत में पाकिस्तान इस रास्ते अपने आतंकी भेज रहा है। हालांकि इस दौरान सेना प्रमुख ने असम की क्षेत्रीय पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट को लेकर बयान भी दिया जिस पर असदुद्दीन ओवैसी ने एतराज जताया है।
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने आज कहा कि विपिन रावत में क्षेत्रीय पार्टी और उनकी सीटों और भारतीय जनता पार्टी के सीटों को लेकर टिप्पणी की है, जो कि सही नहीं है। ओवैसा ने ट्वीट में लिखा, ‘आर्मी चीफ को राजनीतिक मुद्दों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। किसी पार्टी के आगे बढ़ने के बारे में उनको बोलने की जरूरत नहीं है।’ उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और संविधान इस बात की इजाजत नहीं देता है और उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है। सेना हमेशा एक निर्वाचित नेतृत्व के तहत काम करती है।’
आपको बता दें कि बुधवार को आर्मी चीफ ने 1984 में भाजपा के महज दो सीटें जीतने का जिक्र करते हुए कहा था कि असम की एआईयूडीएफ नामक पार्टी पर नजर डालें तो आप पायेंगे कि भाजपा को उभरने में सालों लग गये जबकि वह बिल्कुल कम समय में उभरी। उन्होंने कहा था कि एआईयूडीएफ असम में तेजी से बढ़ रही है। यह दल मुस्लिमों के पैरोकार के रुप में 2005 में बना था और फिलहाल लोकसभा में उसके तीन सांसद और असम विधानसभा में 13 विधायक हैं।
गौरतलब है कि विपिन रावत ने कहा था कि चीन और पाकिस्तान भारत की शांति और मजबूती को हिला नहीं पा रहे हैं। इसलिए चीन ने प्रॉक्सी वॉर का रास्ता चुना है। बुधवार को राजधानी में उत्तर पूर्व में सीमा सुरक्षा को लेकर हुए एक सेमिनार में आर्मी चीफ ने यह बात कही थी। इसके साथ ही रावत ने कहा कि चीन के सहयोग से चलाई जा रहे परोक्ष युद्ध के तहत वहां ‘योजनाबद्ध तरीके’ से बांग्लादेश से लोगों को भेजा रहा है। असम के कई जिलों में मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि की खबरों का हवाला देते हुए सेना प्रमुख ने बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ की भी चर्चा की और कहा कि राज्य में उसका उभार 1980 के दशक से भाजपा के विकास से अधिक तेज रहा।