मध्यप्रदेश में किसानों की आय दोगुनी करने के मकसद से किसानों को परम्परागत फसल के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों को लेने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश के अनेक किसानों ने उद्यानिकी फसलों के जरिये खेती से आर्थिक समृद्धि हासिल की है।
झाबुआ- जिले के राणापुर ब्लॉक के ग्राम छायन सेमनखेड़ी के किसान खिम सिंह ने उद्यानिकी फसल से अच्छा मुनाफा मिलने की बात सुनी तो उन्होंने अपनी कृषि भूमि में ड्रिप पद्धति से सिंचाई कर मिर्ची की फसल लगाई। मिर्ची की फसल से उन्हें 50 हजार रुपये की अतिरिक्त आय हुई जबकि परम्परागत फसल लगाने से 10-15 हजार रुपये की ही वार्षिक आय हो पाती थी। किसान खिमसिंह ने खेत में ड्रिप एरीगेशन और मल्चिंग का उपयोग किया। इस कार्य में उन्हें उद्यानिकी विभाग ने सहयोग दिया। आज उनके खेत में गिलकी, बैंगन और भिण्डी की बढ़िया फसल लहलहा रही है। जिले के मेघनगर ब्लॉक के ग्राम नौगांवा के किसान लल्लू सिंह ने भी अपने खेत में उद्यानिकी फसल लगाई है। उन्हें इसके लिये उद्यानिकी विभाग की ओर से 55 हजार रुपये का शासकीय अनुदान मिला है। वे अपने खेत में ड्रिप एरीगेशन का उपयोग कर रहे हैं। किसान लल्लू सिंह को पिछले साल प्याज, लहसुन, मिर्च, गोभी, बैंगन और टमाटर की फसल बेचने से अच्छी आमदनी हुई है।
सिंगरौली– ग्राम अमलोरी के किसान धीरेन्द्र सिंह ने उद्यानिकी विभाग की सलाह पर ड्रिप एरीगेशन के साथ उद्यानिकी फसल ली। ड्रिप एरीगेशन से 60 से 70 प्रतिशत तक पानी की बचत हुई। प्लास्टिक मल्चिंग के उपयोग से खरपतवार पर भी नियंत्रण पाया जा चुका है। धीरेन्द्र सिंह के खेत में उद्यानिकी फसल देखकर क्षेत्र के अन्य किसानों ने भी उद्यानिकी फसल लेने का मन बनाया है।
राजगढ़– सारंगपुर तहसील के ग्राम पिपल्यादेव के किसान दिनेश कुमार नागर बताते हैं कि वे पौने दो हेक्टेयर कृषि भूमि पर परम्परागत फसल लिया करते थे। सब खर्च घटाने के बाद बमुश्किल बचत हो पाती थी। इसके बाद उन्होंने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों की सलाह पर पौने चार बीघा जमीन पर संतरा का बगीचा तैयार किया। विभाग की सलाह पर संतरे के पौधों के बीच में उन्होंने पपीते के पौधे भी लगाये। इससे उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ। मुनाफे की रकम से उद्यानिकी विभाग की संकर सब्जी विस्तार योजना में 2000 वर्ग मीटर में पॉली-हाउस स्थापित किया। पॉली-हाउस में उन्होंने मिर्ची, टमाटर एवं अन्य सब्जी की खेती प्रारंभ की। आज क्षेत्र में उनकी पहचान प्रगतिशील कृषक के रूप में बन गई है। किसान दिनेश को पूर्व में जहाँ सालभर में केवल एक लाख रुपये की आमदनी हो पाती थी, आज उसी कृषि भूमि पर उन्हें 4 से 5 लाख रुपये की वार्षिक आमदनी हो रही है। जिले के खिलचीपुर विकासखण्ड के देवली सांगा गाँव के 52 वर्षीय किसान शंकरलाल कई वर्षों से धनिया, संतरा और प्याज जैसी उद्यानिकी फसल ले रहे हैं। नवीन तकनीक की जानकारी के अभाव के कारण उन्हें इन फसलों से वाजिब दाम नहीं मिल पाते थे। उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने नई-नई तकनीकों की जानकारी किसान शंकरलाल को दी तो उनके खेत में उद्यानिकी फसलों की पैदावार ज्यादा बढ़ गई। किसान शंकरलाल ने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों की मदद से 25 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज गृह भण्डार बनवाया है। इसके लिये उन्हें लगभग 88 हजार रुपये का अनुदान भी मिला है। पिछले साल आधा हेक्टेयर भूमि पर प्याज की फसल बोई थी। इससे उन्हें करीब 110 क्विंटल प्याज का उत्पादन मिला। बाजार में प्याज की अधिक आवक होने के कारण प्याज के भाव बाजार में काफी नीचे तक चले गये थे। उन्होंने केवल 10 क्विंटल प्याज बेची, बाकी प्याज उन्होंने भण्डार-गृह में सुरक्षित रख ली। इसके बाद बाजार में प्याज के दाम में सुधार आया और दाम बढ़कर 20 से 25 रुपये प्रति किलोग्राम तक हो गये। भण्डार की गई प्याज सुरक्षित थी और उन्हें इसके बाजार में अच्छे दाम भी मिले। इससे उन्हें डेढ़ लाख रुपये का मुनाफा हुआ। किसान शंकरलाल बताते हैं कि किसानों को भण्डार-गृह बनाने के लिये भी आगे आना होगा, जिससे उन्हें उपज के सही दाम मिल सकें।
भोपाल– बैरसिया विकासखण्ड के ग्राम कालरा के किसान कमल सिंह कुशवाह ने आधुनिक तकनीक को अपनाकर उद्यानिकी फसल के रूप में आलू की खेती की शुरूआत की। कमल सिंह ने प्रथक्करण दूरी के साथ पौधे 20-25 सेंटीमीटर और कतार में 45-60 सेंटीमीटर दूरी पर लगाये। इससे इनका आलू का उत्पादन आधा एकड़ में 55-60 क्विंटल प्राप्त हुआ, जबकि पूर्व में आधा एकड़ के खेत में 40-45 क्विंटल आलू का उत्पादन मिला करता था। कमल सिंह ने उद्यानिकी की अन्य फसल के लिये विभाग से सम्पर्क किया है।
कटनी– जिले के ढीमरखेड़ा विकासखण्ड के ग्राम मुरवारी में रहने वाले लव की लाइफ उद्यानिकी फसलों के बेहतर उत्पादन से खुशहाल हो गई है। पिछले दो सालों से उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन में लव कुमार ज्योतिषी अपने 2 हेक्टेयर के खेत में से एक हेक्टेयर में उद्यानिकी फसल लगा रहे हैं। लव कुमार को उद्यानिकी फसल से वर्षभर में ढाई लाख रुपये की आमदनी भी हो रही है। लव कुमार को उद्यानिकी विभाग ने अनुदान पर ट्रेक्टर बिथ रोटावेटर दिया गया है। अब लव कुमार ने अपनी पूरी 2 हेक्टेयर भूमि पर सब्जी उत्पादन करने की कार्य-योजना बना ली है। लव कुमार बताते हैं कि रोटावेटर से मिट्टी के बारीक टुकड़े हो जायेंगे। ट्रेक्टर बिथ रोटावेटर पाटा का काम भी करेगा। इससे जमीन भी लेबल हो पायेगी और 8 से 10 दिनों तक जमीन में नमी बनी रहेगी।