जंगी थोपन पोवारी बिजली परियोजना मामले में जयराम सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा ने कहा है कि अदानी ग्रुप को अपफ्रंट मनी के 280 करोड़ नहीं लौटाए जाएंगे। वित्तीय बिड में अदानी की ओर से गलती हुई थी। इस मामले को जल्द कैबिनेट बैठक में लाकर अंतिम फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सरकार के समय हुई कैबिनेट बैठकों में भी उन्होंने अपफ्रंट मनी न लौटाने की बात कही थी। अनिल शर्मा ने कहा कि जब सरकार की कोई गलती नहीं थी तो सरकारी पैसे से अपफ्रंट मनी क्यों दी जाए। 11 वर्षों से विवादों में रही 960 मेगावाट की जंगी थोपन पोवारी बिजली परियोजना को लेकर जयराम सरकार नरमी बरतने के मूड में नहीं है।
इस परियोजना को स्थापित करने के लिए वीरभद्र सरकार ने खूब जोर लगाया था लेकिन इस बाबत अंतिम निर्णय न होने से मामला लटक गया था। अब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होते ही जयराम सरकार इस मामले को लेकर पूर्व सरकार द्वारा लिए गए फैसले को बदलने की तैयारी में है।जंगी थोपन पोवारी बिजली परियोजना मामले पर वीरभद्र सरकार ने फैसला लिया था कि इस परियोजना का निर्माण रिलायंस कंपनी करेगी। रिलायंस कंपनी से जो अपफ्रंट मनी आएगी, उसे अदानी कंपनी को लौटाया जाएगा।
15 सितंबर 2016 को रिलायंस कंपनी ने परियोजना निर्माण से इनकार कर दिया। उसके बाद सरकार ने इस परियोजना को पीएसयू सेक्टर में देने का फैसला लिया था। साल 2006 में राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट का टेंडर किया था। ब्रेकल कंपनी को काम आवंटित हुआ था। ब्रेकल ने अदानी से अपफ्रंट मनी के 280 करोड़ की राशि लेकर हिमाचल सरकार को दी। मामला बाद में सुप्रीम कोर्ट तक चला गया था। कोर्ट ने सरकार को इस प्रोजेक्ट पर अपने स्तर पर फैसला लेने के निर्देश दिए थे। सरकार ने 2009 में इस प्रोजेक्ट के आवंटन को रद्द कर दिया था।