अच्छाई पर बुराई की जीत के त्यौहार होली को आज पूरे भारत में मनाया जा रहा है. आज शाम होलिका दहन किया जाएगा और कल रंगों के साथ इस पर्व का जश्न मनाया जाएगा. होली और होलिका दहन से जुड़ी हिरणकश्यप के अलावा मुगल काल, शिव-पार्वती और राधा-कृष्ण की भी कहानियां प्रचलित हैं. यहां जानें होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.
होलिका दहन का मुहूर्त
होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है. इसी पूर्णिमा के दिन ही होलिका दहन किया जाता है. इस बार होलिका दहन यानी छोटी होली या होलिका दीपक 1 मार्च को मनाई जा रही है. मान्यता के अनुसार होलिका दहन का समय 2 घंटे 31 मिनट रहेगा. जो शाम 6 बजकर 18 मिनट से रात 8 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. लेकिन भद्र काल शाम 6:58 होने की वजह से होलिका दहन का शुभ समय 1 घंटा 49 मिनट तक ही रहेगा.
होलिका दहन
शाम 6 बजकर 18 मिनट से रात 8 बजकर 47 मिनट तक.
वहीं, भद्रा काल का समय 3.54 से शाम 6.45 तक रहेगा. इन दौरान होलिका दहन से बचें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भद्रा मुख में होली दहन अच्छा नहीं माना जाता. इसीलिए आज शाम 6.48 मिनट के बाद ही होलिका दहन करें.
भद्रा पूंछ = 15:54 से 16:58 तक
भद्रा मुख = 16:58 से 18:45 तक
पूजा की विधि
1. होली पूजा के लिए सामग्री: रोली, चावल, फूल, सूत, हल्दी, बताशे, गेंहू की बाली, श्रीफल और पानी का कलश.
2. इस सामग्री को साथ लेकर होलिका दहन के स्थान पर जाएं और इस मंत्र का जाप करें.
अहकूटा भयत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम।
3. मंत्र पाठ के बाद अपना, पिता और गोत्र का नाम लेकर संकल्प लें.
4. मंत्र और संकल्प लेने के बाद भगवान गणेश का ध्यान दें और जल अर्पित करें. इसके बाद प्रहलाद का नाम लेकर फूल चढ़ाएं.
5. होली के सामने खड़े रहकर हल्दी, बचे फूल, गेंहू की बाली और श्रीफल चढ़ाएं.
6. आखिर में सूत को होलिका पर लपेटें और कलश में भरा जल चढ़ा दें.