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बजट सत्र के पहले दिन कांग्रेस विधायकों के वाकआउट के बाद दिए CM ने बयान ….

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बयान पर दूसरे दिन विपक्ष ने उन्हें घेरना चाहा, लेकिन जयराम ठाकुर ने जवाब दिया ‘आप धमकी दें और हम चुप रहें, ऐसी उम्मीद न रखिए।’ उनके इस जवाब का सत्तापक्ष ने मेज थपथपा कर स्वागत किया।

दरअसल दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस विधायक दल के नेता ने सवाल किया कि मुख्यमंत्री ने विपक्ष के विधायकों को डराने और धमकाने की कोशिश की है। उन्होंने मंगलवार मीडिया से कहा था कि मुझे बदले की कार्रवाई पर मजबूर न करें, अन्यथा ये सदन में बैठने के काबिल नहीं रहेंगे। क्या विपक्ष को धमकी देकर शांत किया जाएगा? मुकेश ने कहा कि इनकी मंशा सदन चलाने की नहीं लगती। धमकी बर्दाश्त नहीं होगी। जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सत्र की शुरुआत ठीक नहीं हुई। उन्होंने न सदन के भीतर और न बाहर, कभी कोई गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं दिया है। धारा-118 को लेकर विपक्ष बेवजह हल्ला कर रहा है।

हर बात में राजनीति तलाशना ठीक नहीं। मैं तो चाहता था कि बजट सत्र केक पहले दिन कांग्रेस के विधायक भी मेरा जवाब सुनते, लेकिन वे बाहर चले गए। हमारे लिए हिमाचल के हित सर्वोपरि हैं, चाहे कुछ भी हो जाए। हिमाचल की जमीन को किसी को बिकने नहीं देंगे। यह स्थिति न अब है, न ही आएगी। हम एक चर्चा चाहते हैं कि क्या इन नियमों को सरल कर हम हिमाचल में रोजगार के और अवसर पैदा कर सकते हैं कि नहीं? हर मसला चर्चा के माध्यम से ही आगे बढऩा चाहिए। विपक्ष के व्यवहार से मैं भी आहत हूं। इसलिए यह उम्मीद न रखिए कि आप कुछ भी कहेंगे और हम चुप रहेंगे।

शिमला। 21 विधायकों के साथ विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस जल्द ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाएगी। बुधवार को सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करने के बाद मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि सदन में मुख्यमंत्री धमकी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने सत्र के पहले ही दिन कहा था कि हम यदि बदले पर आए तो कांग्रेस विधायकों का विधानसभा में बैठना मुश्किल होगा।

चौहान ने कहा कि हम विधानसभा में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कहने पर नहीं आए हैं। हमें जनता ने चुनकर भेजा है, ताकि उनकी आवाज को यहां उठा सकें। उन्होंने कहा कि वीरवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में इस मसले पर निर्णय लिया जाएगा। हर्षवर्धन ने आरोप लगाया कि प्रदेश की नई सरकार ने मात्र दो महीनों में ही हजारों कर्मचारियों के तबादले कर दिए हैं।

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