राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि सामान्य बच्चों की तुलना में दिव्यांग बच्चों में शिक्षा के प्रति लगन, आत्म-विश्वास और संस्कार देखकर कहा जा सकता है कि दिव्यांगों को शिक्षित करने वाले शिक्षक माता-पिता के तुल्य होते हैं। वे उनमें आत्म-विश्वास पैदा करने के साथ उन्हें जीवन जीना सिखाते हैं। राज्यपाल श्रीमती पटेल ने आज दिव्यांगों की शिक्षण संस्था आरूषि का भ्रमण करने के बाद बच्चों को आशीर्वाद देते हुए यह बात कही। राज्यपाल ने आरूषि संस्था के एक-एक कक्ष में जाकर दिव्यांग बच्चों को सिखाई जा रही शिक्षा,कला और संगीत आदि की जानकारी ली। इस अवसर पर दिव्यांग छात्र-छात्राओं फरगुनी, सरगम और विवेक ने गीत और कुमकुम ने नृत्य पेश किया। कुमारी खुशी ने पियानों पर संगीत पेश किया।
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि दिव्यांग बच्चों को संभालना और शिक्षित करना कठिन होता है। यहां के शिक्षक अपने बच्चों की तरह इनकी देखभाल करते हैं। मैं उनके इस कार्य के लिए उन्हें सलाम करती हूँ। राज्यपाल दिव्यांग बच्चों से मिलकर भावुक हो गईं। भ्रमण के दौरान उन्होंने शिक्षकों से बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा के बारे में जानकारी प्राप्त की । कुमारी कुमकुम शाक्य द्वारा बनाई गई पेंटिंग की राज्यपाल ने बहुत सराहना की। राज्यपाल ने दिव्यांग बच्चों को फल और संस्थान को दिव्यांगों के लिए राशि भेंट की।
इस अवसर पर राज्यपाल के प्रमुख सचिव डॉ. एम. मोहन राव, आरूषि संस्था की श्रीमती सपना गुप्ता, सचिन देवलिया और शिक्षक उपस्थित थे।