भारत एक ऐसा देश है जहाँ मंदिरों की भरमार है और यहाँ पर ऐसे मंदिर भी देखने को मिलते है जिनके राज़ पर से आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है दार्शनिक स्थलों में मध्यप्रदेश में स्थित उज्जैन शहर का भी नाम उल्लेखित है उज्जैन शहर में ऐसे कई मंदिर है जहां लोग दर्शन करने के लिए जाते है उज्जैन में ऐसा एक मंदिर और है ये मंदिर साल में एक बार ही खुलता है यह मंदिर नागचंद्रेश्वर के नाम से जाना जाता है इस मंदिर में नागपंचमी के दिन लाखो भक्तो कि भीड़ जमा हो जाती है इस मंदिर के पट सिर्फ 24 घंटो के लिए खुले होते है उसके बाद इन्हें बंद कर दिया जाता है, इस मंदिर कि ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में 100 साल से भी अधिक आयु के नागदेवता निवास करते है और यह साल में सिर्फ एक बार ही दर्शन देते है-
इस मंदिर में 11वी शाताब्दी कि अदभुद प्रतिमा विराजमान है इसमें नागचंद्रेश्वर फन फैलाए हुए है, और नाग आसन पर शिव-पार्वती विराजमान है. महानिर्वाण अखाड़े के प्रतिनिधि महंत रामेश्वर दास महाराज ने बताया कि नागपंचमी पर इस प्रतिमा के दर्शन के बाद श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर महादेव के दर्शन करते है.
कहा गया है कि यह प्रतिमा नेपाल से लायी हुई है और उज्जैन के अलावा ऐसी प्रतिमा कहीं और देखने को नहीं मिलेगी, इस मंदिर कि ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी के दिन नागदेवता खुद इस मंदिर में निवास करते है और किस्मत वालों को ही इस एक हज़ार वर्षीय नागदेवता के दर्शन होते है,उज्जैन में स्थित ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के सबसे ऊपरी तल पर बने इस मंदिर के दर्शन करने के लिए लाखो लोग यहाँ नागपंचमी के दिन पहुचते है.