प्रधानमंत्री ने मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में भारत की स्थिति में सुधार लाने के मकसद से ‘विकास प्रक्रिया में सार्वजनिक भागीदारी’ पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धी और सहकारी संघवाद की भवाना देश के लिए अच्छी है और इसे बढ़ावा देना चाहिए।
मोदी ने यहां राष्ट्रीय जनप्रतिनिधि सम्मलेन को संबोधित करने के दौरान कहा, “जन भागीदारी से हमेशा लाभ होता है। जहां भी अधिकारियों ने लोगों के साथ काम किया और उन्हें विकास प्रक्रिया में शामिल किया, वहां परिवर्तनकारी परिणाम सामने आए।”
उन्होंने कहा, “हर राज्य में कुछ ऐसे जिले हैं, जहां विकास मापदंड मजबूत हैं। हम उनसे सीख सकते हैं और कमजोर जिलों पर काम कर सकते हैं।”
प्रधानमंत्री ने जनप्रतिनिधि सम्मेलन आयोजित कराने के लिए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के प्रयासों की सराहना की और कहा, “यह अच्छी बात है कि विभिन्न राज्यों के विधायक महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साथ आ रहे हैं।”
मोदी ने इस बात का भी जिक्र किया कि उन क्षेत्रों की पहचान करना जरूरी है जहां जिलों को सुधार की जरूरत है और फिर उनकी कमियों से निपटा जाना चाहिए।
मोदी ने कहा, “जैसे ही हम जिलों में एक भी पहलू में बदलाव करने का फैसला करते हैं, हम अन्य कमियों पर काम करने की गति पा लेते हैं।”
मोदी ने कहा कि भारत के पास श्रम शक्ति है। हमारे पास कौशल और संसाधन हैं। सकारात्मक बदलाव के लिए हमें मिशन मोड पर काम करने की जरूरत है। हमारा लक्ष्य सामाजिक न्याय है।
लोकसभा सचिवालय ने हर राज्य की विधानसभा से छह विधायकों और विधान परिषद से तीन विधान पार्षदों को आमंत्रित किया है। लेकिन हाल ही में नई सरकार बनाने वाले राज्य त्रिपुरा, मेघालय व नागालैंड और तेलंगाना सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं।