व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत एकादशी का होता है. एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन कि चंचलता समाप्त होती है. धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है ,हार्मोन की समस्या भी ठीक होती है तथा मनोरोग दूर होते हैं. पापमोचनी एकादशी का व्रत आरोग्य,संतान प्राप्ति तथा प्रायश्चित के लिए किया जाने वाला व्रत है. इस व्रत से पूर्व कर्म के ऋण तथा राहु की समस्याएं भी दूर हो जाती हैं. यह चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. मौसम तथा स्वास्थ्य के दृष्टि से इस माह में जल का अधिक प्रयोग करने की सलाह दी जाती है अतः इस व्रत में जल का प्रयोग ज्यादा होता है. इस बार पापमोचनी एकादशी 13 मार्च को होगी.
क्या हैं इस व्रत को रखने के नियम?
– यह व्रत दो प्रकार से रखा जाता है -निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत
– सामान्यतः निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए
– अन्य या सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए
– इस व्रत में दशमी को केवल एक बार सात्विक आहार ग्रहण करनी चाहिए
– एकादशी को प्रातः काल ही श्रीहरि का पूजन करना चाहिए
– अगर रात्रि जागरण करके श्री हरि की उपासना की जाय तो हर पाप का प्रायश्चित हो सकता है
– बेहतर होगा कि इस दिन केवल जल और फल का ही सेवन किया जाय
– प्रातःकाल स्नान करके एकादशी व्रत और पूजन का संकल्प लें
– सूर्य को अर्घ्य दें और केले के पौधे में जल डालें
– भगवान् विष्णु को पीले फूल अर्पित करें
– इसके बाद श्रीमद्भगवदगीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें
– चाहें तो श्री हरी के मंत्र का जाप भी कर सकते हैं
– मंत्र होगा – ॐ हरये नमः
– संध्याकाळ निर्धनों को अन्न का दान करें
पापमोचनी एकादशी के दिन किस प्रकार राहु की समस्या का निवारण करें?
– प्रातःकाल सूर्योदय के पूर्व पीपल के वृक्ष में जल डालें
– दिन भर जल और फल ग्रहण करके उपवास रक्खें
– सायंकाल पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करें और उसके तने में पीला सूत लपेटते जाएँ
– कम से कम सात बार परिक्रमा करें
– इसके बाद वहाँ पर दीपक जलाएं और सफ़ेद मिठाई अर्पित करें
– राहु की समस्या की समाप्ति की प्रार्थना करें
इस दिन किन-किन सावधानियों का पालन करें?
– तामसिक आहार व्यहार तथा विचार से दूर रहें
– भारी खाना खाने से बचाव करें
– बिना भगवान सूर्य को अर्घ्य दिए हुए दिन की शुरुआत न करें
– अर्घ्य केवल हल्दी मिले हुए जल से ही दें,रोली या दूध का प्रयोग न करें
– अगर स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो उपवास न रखें ,केवल प्रक्रियाओं का पालन करें