Home धर्म/ज्योतिष नवरात्रि का चौथा दिन, मां कुष्मांडा को ऐसे करें प्रसन्न..

नवरात्रि का चौथा दिन, मां कुष्मांडा को ऐसे करें प्रसन्न..

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कुष्मांडा देवी का पूजन नवरात्र के चौथे दिन होता है. अपनी हल्की हंसी के द्वारा ब्रह्मांड(अंड) को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कुष्मांडा हुआ. ये अनाहत चक्र को नियंत्रित करती हैं.

मां की आठ भुजाएं हैं.अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं. संस्कृत भाषा में कूष्माण्डा को कुम्हड़ कहते हैं, और इन्हें कुम्हड़ा विशेष रूप से प्रिय है, ज्योतिष में इनका सम्बन्ध बुध ग्रह से है.

क्या है देवी कुष्मांडा की पूजा विधि और क्या है इनकी पूजा से लाभ?

हरे वस्त्र धारण करके मां कुष्मांडा का पूजन करें.

पूजा के दौरान मां को हरी इलाइची, सौंफ या कुम्हड़ा अर्पित करें.

इसके बाद उनके मुख्य मंत्र “ॐ कुष्मांडा देव्यै नमः” का 108 बार जाप करें.

चाहें तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें.

बुध ग्रह से सम्बंधित कौन कौन सी समस्याएं हैं?

हकलाहट, वाणी और अभिव्यक्ति की समस्या.

त्वचा की समस्या.

रूप सौंदर्य की समस्या.

कान, नाक गले की समस्या.

 बुध को मजबूत करने के लिय्रे कैसे करें माँ कुष्मांडा की पूजा?

मां कुष्मांडा को उतनी हरी इलाइची अर्पित करें जितनी कि आपकी उम्र है.

हर इलाइची अर्पित करने के साथ “ॐ बुं बुधाय नमः” कहें.

सारी इलाइचियों को एकत्र करके हरे कपडे में बांधकर रख लें.

इन्हें अपने पास अगली नवरात्रि तक सुरक्षित रखें.

आज का विशेष प्रसाद क्या है?

मां को आज के दिन मालपुए का भोग लगाएं.

इसके बाद उसको किसी ब्राह्मण या निर्धन को दान कर दें.

इससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय क्षमता अच्छी हो जाती है.

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