Home हिमाचल प्रदेश टांडा की सुपरस्पेशियलिटी में एक भी विशेषज्ञ नहीं…

टांडा की सुपरस्पेशियलिटी में एक भी विशेषज्ञ नहीं…

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प्रदेश के दूसरे बड़े अस्पताल का दर्जा लिए बैठे टांडा मेडिकल कॉलेज में सुपरस्पेशियलिटी की सेवाएं नाम की चल रही हैं। मेडिकल कॉलेज के संंबंधित दो विभागों मेंं न तो किडनी के स्पेशलिस्ट हैं और न ही हार्मोन असंतुलन को ठीक करने वाले डॉक्टर। नेफ्रोलोजिस्ट और एंडियोक्रोनोलोजिस्ट के डॉक्टर भी नहीं हैं। नगरोटा के विधायक अरुण कुमार ने स्वास्थ्य मंत्री से टांडा में सुपरस्पेशियलिटी विभागों में स्टाफ का ब्योरा विधानसभा में मांगा था।

सवाल लगा तो नहीं, पर लिखित जवाब में स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने जानकारी दी कि टांडा में इस समय कोई भी नेफ्रोलोजिस्ट और एंडियोक्रोनोलोजिस्ट नहीं है। एक एमडी असोसिएट ऑफिसर है, जो चेस्ट एंड टीबी में सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा अन्य एमडी मेडिसन हैं, जो डायलीसिस की सेवाएं दे रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि टांडा मेडिकल कॉलेज में रेडिएशन सेफ्टी ऑफिसर का पद भरा गया है। वहीं मेडिकल फिजिसिस्ट के दो पद मंजूर तो हैं, लेकिन दोनों पद खाली हैं। फिजिक्स टेक्नीशियन के चार पद स्वीकृत हैं और सभी खाली हैं।

विधायक के पूछे गए सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री ने बताया है कि टांडा में एसआरएल लैब ने इस साल फरवरी तक करीब 4 करोड़ का राजस्व अर्जित किया है। इससे पिछले साल ये राशि 3.31 करोड़ थी। 2013 से काम लेेने के बाद से यहां निजी लैब करब 12 करोड़ का बिजनेस कर चुकी है। हालांकि जब ये काम कालेज के पास खुद था तो सरकार को नुकसान ही होता था।

राज्य सरकार ने विधानसभा में पालमपुर में शांता कुमार के विवेकानंद ट्रस्ट पर जानकारी सदन में नहीं थी। माकपा विधायक राकेश सिंघा ने पूछा था कि इस ट्रस्ट से होने वाली कमाई किसे जा रही है? और क्या इस ट्रस्ट का अधिग्रहण सरकार करेगी? सिंघा ने ये भी पूछा था कि क्या ट्रस्ट के नाम सरकारी जमीन ट्रांसफर हुई है? जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस बारे में सूचना अभी एकत्र की जा रही है।

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