Home राष्ट्रीय SC/ST Act: सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया रिव्यू पीटिशन…

SC/ST Act: सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया रिव्यू पीटिशन…

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इससे पहले केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोजपा ने भी रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी। लोजपा के रिव्यू पिटीशन में इस मामले को संविधान बेंच में भेजने की मांग की गई है।सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 20 मार्च को लोकसेवकों के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिशानिर्देश जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि लोकसेवक को गिरफ्तार करने से पहले सक्षम प्राधिकारी से अनुमति लेना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत देने पर कोई रोक नहीं है। निचली कोर्ट इस मामले में अग्रिम जमानत भी दे सकती है।जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने इस सवाल का पड़ताल किया था कि क्या अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) (एससी-एसटी एक्ट) 1989 के प्रावधानों का दुरुपयोग रोकने के लिए सुरक्षात्मक उपाय जारी किए जा सकते हैं।

कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा था कि अत्याचार अधिनियम के तहत अपराधों के संबंध में गिरफ्तारी के लिए किसी भी अन्य स्वतंत्र अपराध के अभाव में, यदि कोई आरोपी सार्वजनिक कर्मचारी है तो नियुक्ति प्राधिकारी की लिखित अनुमति के बिना, और अगर कोई आरोपी एक सार्वजनिक कर्मचारी नहीं है तो जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की लिखित अनुमति के बिना, गिरफ्तारी नहीं हो सकती है। ऐसी अनुमतियों के लिए किए जाने वाले कारणों को दर्ज किया जाना चाहिए और संबंधित कोर्ट में पेश किया जाना चाहिए। मजिस्ट्रेट को दर्ज कारणों पर अपना दिमाग लागू करना चाहिए और आगे हिरासत में रखने की अनुमति केवल तभी दी जानी चाहिए जब दर्ज किए गए कारण मान्य हैं।

कोर्ट ने निर्देश दिया था कि निर्दोष को झूठी शिकायत से बचाने के लिए संबंधित डीएसपी प्रारंभिक जांच करेंगे और पता लगाएंगे कि आरोपों में अत्याचार अधिनियम के तहत आरोप तुच्छ या प्रेरित नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट के तहत मामलों में अगर प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता या जहां न्यायिक जांच की जा रही है और पहली नजर में शिकायत झूठी या जान बूझकर दर्ज पाई गई तो अग्रिम जमानत देने पर कोई रोक नहीं है।

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