कर्नाटक विधानसभा चुनावों में इस बार कुछ संत भी अपनी किस्मत आजमाने वाले हैं. कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी इन्हें उन जगहों से चुनाव लड़ने के लिए बहका रही है जहां कांग्रेस काफी मजबूत है, लेकिन बीजेपी इन संतो को योगी आदित्यनाथ से प्रेरित बताती है. इस बार कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कुछ संत भी राजनीति के बाजीगरों के साथ 2-2 हाथ करते नज़र आएंगे. कम से कम आधा दर्जन संत चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं.
लक्ष्मीवरा तीर्थ स्वामी के प्रमुख संत शिरूर मठ ने कहा कि उडूपी क्षेत्र की जिस तरह से दुर्दशा हुई है उसे देखते हुए मैंने ये संकल्प किया है कि मैं इस बार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ूंगा. किसी भी पार्टी ने इस क्षेत्र के विकास को गम्भीरता से नहीं लिया है, इसलिये ही मैंने इस बार चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
बीजपी के पास धर्म से राजनीति में आए संतों की लंबी फेरिस्त है. वो इस बात से इनकार कर रही है कि कांग्रेस के मज़बूत उम्मीदवारों के खिलाफ संतो के इस्तेमाल की कोई योजना है.
बीजपी संसद शोभा करनलाजे ने कहा कि अगर हम किसी स्वामी जी को समर्थन दे तो उसमें गलत क्या है. योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं. उमा भारती केंद्रीय मंत्री हैं. कई स्वामी संसद में सांसद हैं. मुझे समझ मे नहीं आ रहा कि कांग्रेस बेतुकी बाते क्यों करती है.
सिद्धारमैय्या ने भले ही बीजेपी के लिंगयत वोट बैंक में सेंधमारी की हो, लेकिन अबतक न तो कांग्रेस ये अंदाज लगा पाई है कि इससे उनको कितना फायदा होगा कि नहीं लेकिन बीजेपी को ये पता चल गया है कि नुक़सान कितना बड़ा है. ऐसे में दोनों ही पार्टियां अलग-अलग हतकण्डे अपना रही है.