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दलित हिंसा के बाद पहली बार बोले पीएम कहा कि उनकी सरकार दलितों के आईकन बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के दिखाए रास्ते पर चल रही है।…

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एक तरह जहां एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दलितों के गुस्से और विरोध प्रदर्शन के चलते देश के कई हिस्सों में भारी हिंसा हुई है तो वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार दलितों के आईकन डॉक्टर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के दिखाए रास्ते पर चल रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जो देश के संविधान निर्माता कहे जाते हैं उनके सम्मान में किसी भी सरकार ने उतना नहीं किया जितना हमने किया। एक कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा, “डॉक्टर अंबेडकर के आदर्श का मूल तत्व है शांति और भाईचारा। अत्यंत गरीब लोगों के लिए काम हमारा करना मिशन है।”

ऐसा पहली बार है जब प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर सीधे बोला हो। हालांकि, इससे पहले उनकी पार्टी के ही कई नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अपनी असहमति जताते हुए यह कहा कि सरकार दलितों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।

गौरतलब है कि भाजपा नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने सोमवार को पुनर्विचार याचिका दायर करते हुए एससी/एसटी एक्ट पर पिछले महीने दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने को कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह कहा था कि उत्पीड़न का केस दर्ज करने के बाद किसी तरह की फौरन कार्रवाई से पहले पुलिस की तरफ से प्रारंभिक जांच सात दिनों के अंदर होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने अम्बेडकर की याद में शुरू की गई परियोजनाओं को पूरा कर उन्हें उनका यथोचित स्थान दिया है। मोदी ने कहा कि 26, अलीपुर रोड हाउस को अम्बेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर 13 अप्रैल को राष्ट्र को समिर्पत किया जाएगा जहां दलित मसीहा का निधन हुआ था। वह सांसदों के आवास से संबंधित वेस्टर्न कोर्ट एनेक्सी भवन के उद्घाटन अवसर पर एक सभा को संबोधित कर रहे थे।

यह उल्लेख करते हुए कि राजनीतिक लाभ के लिए हर किसी ने अम्बेडकर के नाम का इस्तेमाल किया, मोदी ने कहा कि यह उनकी सरकार है जिसने अम्बेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र को पूरा किया जिसका विचार तब शुरू हुआ था जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। मोदी ने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार वर्षों तक इससे पीछे हटती रही। प्रधानमंत्री की टिप्पणी ऐसे समय आई है जब अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए सुरक्षा मानक तय किए जाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों ने सोमवार को देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन किए थे।

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