राज्यपाल आचार्य देवव्रत से आज यहां राजभवन में भारत में रूस के राजदूत निकोले आर. कुदाशिवा ने भेंट की।
रूस के राजदूत के साथ बैठक के दौरान राज्यपाल ने कहा कि भारत और रूस के बीच वर्षों पुराने सांस्कृतिक एवं कूटनीतिक संबंध हैं। उन्होंने कहा कि रोरिक, जो प्राचीन भारतीय परम्परा तथा पद्धति के प्रबल समर्थक थे, ने दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत बनाने में मदद की और अन्त में कुल्लू में बस गए। उन्होंने कहा कि हमें उनकी सोच को आगे बढ़ाना चाहिए और तत्कालीन सांस्कृतिक विरासत को संजोकर रखना है। उन्होंने आम जनमानस तक रोरिक की सांस्कृतिक विरासत को पहुंचाने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन व सेमिनार आयोजित करने का सुझाव दिया। उन्होंने रोरिक न्यास में समर्पित सदस्यों को शामिल करने पर बल दिया।
आचार्य देवव्रत ने अरू स्वाति संस्थान को और अधिक क्रियाशील बनाने का भी सुझाव दिया और कहा कि हम इस केन्द्र के माध्यम से योग और पारम्परिक विधाओं को भी बढ़ावा दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र में स्थानीय बच्चों के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए ताकि भावी पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक विरासत को समझ सके, जो रोरिक कला को प्रोत्साहित करने में मददगार होगी। उन्होंने कहा कि वह इस दिशा में हर संभव प्रयास करेंगे।
उन्होंने कहा कि कृषि, पर्यटन, शिक्षा, परिवहन, आपदा प्रबन्धन तथा प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में रूस की विशेषज्ञता का लाभ उठाकर राज्य के विकास में रूस को भागीदार बनाया जा सकता है।
रूस के राजदूत निकोले ने रोरिक आर्ट गैलरी को विकसित करने में राज्यपाल द्वारा समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए भावी गतिविधियों का ब्यौरा दिया।