हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र माह से होता है अर्थात चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिवस अर्थात गुड़ी पड़वा से प्रारंभ होकर फाल्गुन की पूर्णिमा तक रहता है. इन 12 महीनों में वैशाख, श्रावण व कार्तिक विशेष पुण्य कार्य करने वाले होते हैं.
वैशाख में भगवान विष्णुजी की आराधना महत्वपूर्ण है. इस माह में विष्णुजी की आराधना विशेष फलदायक होती है. वैशाख महीने में हरि को प्रसन्न करने के लिए पूरे भाव से इस मंत्र स्तुति का जाप करें…
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं,
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्,
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥1॥
सशङ्खचक्रं सकिरीटकुण्डलं सपीतवस्त्रं सरसीरुहेक्षणम्,
सशङ्खचक्रं सकिरीटकुण्डलं सपीतवस्त्रं सरसीरुहेक्षणम्,
सहारवक्षस्स्थलशोभिकौस्तुभं नमामि विष्णुं शिरसा चतुर्भुजम् ॥2॥
वैशाख महीने में हर गुरुवार को जल में हल्दी डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाएं. केले की जड़ में चने की दाल और मुनक्का चढ़ाएं साथ ही दीपक जलाकर पेड़ की आरती उतारें. दिन में एक समय ही भोजन करें. खाने में चने की दाल या पीली चीजें खाएं, नमक न खाएं, पीले वस्त्र पहनें, पीले फलों का इस्तेमाल करें. पूजन के बाद भगवान बृहस्पति की कथा सुननी चाहिए.