तिलक लगाना हिंदू परम्परा का एक विशेष कार्य है. बिना तिलक लगाए ना तो पूजा की अनुमति होती है और ना ही पूजा संपन्न मानी जाती है. तिलक दोनों भौहों के बीच में, कंठ पर या नाभि पर लगाया जाता है. तिलक के द्वारा यह भी जाना जा सकता है कि आप किस सम्प्रदाय से सम्बन्ध रखते हैं. इससे स्वास्थ्य उत्तम होता है. मन को एकाग्र और शांत होने में मदद मिलती है. साथ ही ग्रहों की उर्जा संतुलित हो पाती है और भाग्य विशेष रूप से मदद करने लगता है.
बिना स्नान किए तिलक ना लगाएं.
पहले तिलक अपने इष्ट या भगवान को लगाएं.
फिर स्वयं को तिलक लगाएं.
सामान्यतः स्वयं को अनामिका उंगली से, तथा दूसरे को अंगूठे से तिलक लगाएं.
तिलक लगाकर कभी न सोएं.
चन्दन के तिलक से एकाग्रता बढती है.
रोली और कुमकुम के तिलक से आकर्षण बढ़ता है, आलस्य दूर होता है.
केसर के तिलक से यश बढ़ता है, कार्य पूरे होते हैं.
गोरोचन के तिलक से विजय की प्राप्ति होती है.
अष्टगंध के तिलक से विद्या बुद्धि की प्राप्ति होती है.
भस्म या राख के तिलक से दुर्घटनाओं और मुकदमेबाज़ी से रक्षा होती है.
सूर्य – लाल चन्दन का तिलक अनामिका उंगली से लगाएं.
चन्द्रमा – सफ़ेद चन्दन का तिलक कनिष्ठा उंगली से लगाएं.
मंगल – नारंगी सिन्दूर का तिलक अनामिका से लगाएं.
बुध – अष्टगंध का तिलक कनिष्ठा उंगली से लगाएं.