कर्नाटक चुनाव और अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले कांग्रेस और भाजपा अब एक-दूसरे के सामने आ गए हैं। खास कर दलितों के मुद्दे पर दोनों दल एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोलने में लगे हैं। उधर संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण हंगामे की भेंट चढ़ने को लेकर भी दोनों पार्टियों में तनातनी जारी है। सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर इसका ठीकरा फोड़ते नजर आ रहे हैं। इन सबसे के बीच कांग्रेस और भाजपा उपवास की रणनीति अपनाई है। एक ओर जहां भाजपा 12 अप्रैल को अपने सांसदों से उपवास रखने को कहा तो वहीं कांग्रेस ने आज ही देशव्यापी उपवास का कार्यक्रम रखा है।
देश में सांप्रदायिक सौहार्द और दलितों के खिलाफ अत्याचार के मुद्दे पर कांग्रेस आज देशव्यापी अनशन करने जा रही है। सभी जिला मुख्यालयों में कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता एक दिन का अनशन रखेंगे। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी भी दिल्ली में राजघाट स्थिति महात्मा गांधी की समाधि पर उपवास करेंगे। अब से कुछ देर में वे राजघाट पहुंचेंगे। उनके साथ कांग्रेस के सभी आला नेता मौजूद रहेंगे।
इस उपवास के पीछे की वजह सांप्रदायिक सौहार्द के बिगड़ते माहौल और दलितों के खिलाफ हो रहे अत्याचार को बताया गया है। कांग्रेस के नए संगठन महासचिव अशोक गहलोत की तरफ से पार्टी के सभी प्रदेश अध्यक्षों, एआईसीसी महासचिवों, प्रभारियों और विधायक दल के नेताओं के भेजे गए दिशा निर्देश में कहा गया है कि सांप्रदायिक सौहार्द को बचाने और बढ़ाने के लिए सभी राज्यों और जिलों के कांग्रेस मुख्यालयों में 9 अप्रैल को उपवास रखा जाए।
इसमें 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान हुई गड़बड़ियों और हिंसा के हवाले से कहा गया है कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा शासित केन्द्र और राज्य की सरकारों ने हिंसा रोकने और दलितों के हक के संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया। ऐसे मुश्किल वक्त में कांग्रेस को आगे बढ़ कर नेतृत्व करने की दरकार है। आपको बता दें कि राहुल गांधी और कांग्रेस का उपवास बीजेपी के उपवास से दो दिन पहले हो रहा है। बीजेपी के सभी सांसद 12 अप्रैल को उपवास रखेंगे। ये निर्देश खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से पार्टी सांसदों को दिया गया है। दरअसल मोदी संसद नहीं चलने देने के लिए विपक्ष और खासतौर पर कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है।
बीते शुक्रवार को बीजेपी संसदीय दल की बैठक में उन्होने बीजेपी सांसदों से कहा कि वे कांग्रेस की विभेदकारी नीतियों के खिलाफ 12 अप्रैल को उपवास रखें। दलितों के मामले ने जिस तरह के तूल पकड़ा और भारत बंद के दौरान जो हिंसा हुई उसके पीछे बीजेपी विपक्ष को जिम्मेदार ठहरा रही है। जाहिर है कांग्रेस और बीजेपी दोनों उपवास के जरिए अपने अपने तरीके से दलितों के हक में खड़ा दिखने की कोशिश कर रही है।