आज यानी दस अप्रैल को सवर्ण जातियों ने दो अप्रैल को भड़की हिंसा के विरोध में बंद का आह्वान किया है। खास बात ये है कि इस बंद के लिए किसी भी बड़े संगठन ने जिम्मेदारी नहीं ली है। ये बंद सोशल मीडिया के जरिये घोषित किया गया है। लेकिन, शासन-प्रशासन किसी भी तरह का रिस्क लिये बिना इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखना चाहता है।
यही वजह है कि प्रदेश सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक इस मामले में कोई कोताही नहीं बरतना चाहते। दो अप्रैल की घटना की पुनरावृत्ति न हो इसको ध्यान रखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मध्यप्रदेश सहित सभी हिंसा प्रभावित राज्यों को एडवाइजरी जारी की है। इसके तहत राज्यों को किसी भी अप्रिय घटना के लिए तैयार रहने को कहा गया है। इसके साथ ही ये भी कहा गया है कि किसी भी जिले में अगर हिंसा भड़कती है तो उसके लिए सीधे तौर पर जिले के कलेक्टर और एसपी को जिम्मेदार माना जाएगा।
गौरतलब है कि प्रदेश में पहले ही दंगा प्रभावित भिंड और मुरैना में सोमवार की रात से कर्फ्यू लागू है। जबकि ग्वालियर में पांच थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू के साथ पूरे जिले में धारा-144 लागू है। हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं भी रोक दी गई हैं। इसके साथ ही भोपाल सहित प्रदेश के सभी जिलों में धरना, प्रदर्शन,जुलूस आदि पर रोक रहेगी।