ऊना। कांगड़ा जिला के नूरपुर में सोमवार को पेश आए स्कूल बस के दर्दनाक हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। लेकिन ऊना जिले के निजी स्कूलों के वाहनों में ओवरलोडिंग नहीं रुक रही है। जिलेभर में स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा रामभरोसे चल रही है। स्कूलों में विद्यार्थियों को पहुंचाने वाले स्कूली वाहन बच्चों को मौत का सफर करवा रहे हैं। समय करीब दोपहर ढाई बजे, 10 अप्रैल, दिन मंगलवार को अमर उजाला की टीम ने निजी स्कूल वाहनों का निरीक्षण किया तो इक्का-दुक्का स्कूल वाहन ही मानकों पर खरा उतर पाए। आलम यह है कि नूरपुर हादसे के बाद भी किसी ने सबक नहीं लिया है। निजी स्कूल प्रबंधन नियमों को सरेआम ठेंगा दिखा रहे हैं। जब अमर उजाला की टीम ने जिलेभर में विभिन्न जगहों पर लाइव रिपोर्ट की तो देखा गया कि स्कूल बस चालकों-परिचालकों के पास न तो कोई आईडी कार्ड मिला और न ही कोई बस चालक सीट बेल्ट का प्रयोग करता पाया गया। निजी स्कूलों की बसों में चालक सीट के पास इंजन पर बच्चे बिठाए जा रहे हैं। निजी स्कूलों की बसों में भेड़ बकरियों की तरह ठूंस-ठूंस कर बच्चे भरे जा रहे हैं। कई स्कूलों के विद्यार्थी तो बसों के दरवाजे पर खड़े होकर सफर कर रहे हैं। इसके अलावा इन वाहनों में कोई फायर सेफ्टी उपकरण, फर्स्ट एड बॉक्स, शिकायत पेटिका भी नहीं रखी गई है। कई बसों में तो परिचालक भी नहीं रखे गए हैं। इससे बच्चों के चढ़ते और उतरते वक्त हादसों का अंदेशा बना रहता है। ऐसे में साफ पता चलता है कि जिला प्रशासन अभी तक इस मसले को लेकर गंभीर नहीं है। शायद प्रशासन अब भी किसी बड़े हादसे या वारदात के इंतजार में है।
आरटीओ को कार्रवाई के निर्देश : डीसी
उपायुक्त विकास लाबरू का कहना है कि जिले में किसी भी स्कूल को नियमों की अनदेखी करने की इजाजत नहीं है। उन्होंने कहा कि आरटीओ को ऐसे सभी स्कूल प्रबंधन के ट्रांसपोर्ट सिस्टम को चेक करने के निर्देश दिए गए हैं, जहां नियमों की अवहेलना हो रही है। उन्होंने कहा कि बच्चों की जान से किसी भी कीमत पर खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा।
संतोषगढ़ (ऊना)। अमर उजाला की टीम ने संतोषगढ़ नगर में भी दोपहर सवा दो बजे के करीब स्कूली बसों की व्यवस्था जांची। इस दौरान संतोषगढ़-सहजोवाल मार्ग पर स्थित निजी स्कूल के लिए जाने वाली सड़क पूर्णतया खस्ताहाल पाई गई। सड़क पर पड़े बड़े-बड़े गड्ढे कभी भी किसी बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं। सड़क की मरम्मत को लेकर लोक निर्माण विभाग भी सुस्त दिखाई दे रहा है। ढाई बजते ही स्कूल में छुट्टी होने के बाद स्कूल की बसों में खचाखच बच्चों से भरी हुई स्कूल बसें अपने गंतव्य की ओर रवाना हुईं। बसों में बोनट पर भी बच्चे बिठाए गए थे। इसके अलावा कई बसों में तो सीटों के अलावा दर्जनों बच्चे बसों में खड़े हुए थे।
मैहतपुर (ऊना)। स्थानीय नगर मैहतपुर में भी निजी स्कूलों में बच्चों को स्कूल तक लाने और घर छोड़ने के लिए जिले के एक नामी स्कूल में लगीं निजी बसें खुलेआम मोटर-व्हीकल एक्ट की धज्जियां उड़ाते नजर आईं। हैरत की बात यह है कि जिला प्रशासन इस बात से बेखबर ऐसे वाहनों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। पिछले कई सालों से इन निजी बसों को निजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को ढोने के लिए प्रयोग में लाया जा रहा है। नियमानुसार स्कूलों के लिए लगाई गई बसों पर स्कूल का नाम, प्रिंसिपल अथवा प्रबंध समिति के पदाधिकारियों के दूरभाष नंबर अंकित किए जाने चाहिए, लेकिन इस नियम को नजर अंदाज किया जा रहा है। कई स्कूली बसों में प्रेशर हॉर्न बजाए जाते हैं, तो कई स्कूली बसों में गाने बजाकर भी नियमों को ठेंगा दिखाया जा रहा है। बसों की सीटों की संख्या से तीन से चार गुणा बच्चों को भरकर लाना ले जाना आम बात हो गई हैं। खानापूर्ति के लिए कभी-कभी स्कूल बसों के दस्तावेजों की जांच यातायात पुलिस करती तो है लेकिन स्कूलों के लिए लगाई गई बसों में नियमानुसार सब ठीक है, इसकी कोई संजीदगी से जांच नहीं करता। सूत्रों के मुताबिक जिले के एक नामी स्कूल को लगाई गई बसों के परमिट कहीं के हैं और बसें कहीं ओर दौड़ाई जा रही हैं। स्कूल प्रबंधन ने बच्चों को स्कूल लाने एवं ले जाने का जिम्मा खुद पर न लेकर अभिभावकों पर ही छोड़ रखा है। ऐसे में अभिभावक खुद ऐसे वाहन मालिकों के साथ मिलकर अपने बच्चों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।