ऊना: पिछले कई वर्षो से ट्रंकलाइजर गन की जरूरत महसूस कर वन विभाग ऊना को अब मात्र एक सप्ताह ही इंजार करना पड़ेगा। विभाग को आने वाले सात दिनों के भीतर ट्रेंक्यूलाइजर गन मिल जाएगी। यह जानकारी डीसी ऊना विकास लाबरू ने दी। मंगलवार को वन विभाग के प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में डीसी पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इस अवसर पर डीएफओ यशुदीप सिंह भी मौजूद रहे। वन मंडलाधिकारी यशुदीप सिंह ने सभी का स्वागत किया तथा विभाग के माध्यम से चलाई जा रही विभिन्न गतिविधियों की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की।
डीसी ने बताया कि पिछले लंबे समय से जिला ऊना को ट्रेंक्यूलाइजर गन की जरूरत महसूस हो रही है, इसको लेकर वन विभाग ने लेटर भी लिखा था। करीब 4 माह पहले गन की लाइसेंस परमिशन के लिए उच्चाधिकारियों को भेजा गया था। अब कुछ ही दिनों गन वन विभाग के पास उपलब्ध रहेगी। फिलवक्त शिमला से स्पेयर गन मंगवाई गई है, जो कि वन विभाग ऊना के पास है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा रात्रि के समय वन कर्मियों को अकेले के बजाय समूह में गश्त करने के निर्देश दे दिए गए हैं, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
लाबरू ने बताया कि गर्मियों में अक्सर देखा गया है कि जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती है, इसका कारण है किसानों द्वार वनों के नजदीक खेतों में आग लगाना। उन्होंने कहा कि अगर कोई भी व्यक्ति के वनों के नजदीक आग लगाता पाया जाता है, तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है। इसके अलावा अपराधी को 7 वर्ष की सजा व 25 हजार रुपये का जुर्माना भी हो सकता है।
उन्होंने कहा कि वन के निकट स्थित किसान अपने खेत अथवा घासनी में आग जलाता है, तो इसकी पूर्व सूचना संबंधित वन परिक्षेत्र अधिकारी को देकर स्वीकृति लेना आवश्यक है। उन्होने बताया कि सरकार ने बंदर पकडने के लिए ईनाम राशि रखी जिसे कोई भी व्यक्ति पकड़ कर प्राप्त कर सकता है। इस मौके पर सहायक वन अरण्यपाल डॉ. जगदीश गौत्तम, वन परिक्षेत्र अधिकारी राजेश ठाकुर भी उपस्थित रहे।
लाबरू ने बताया कि जिला ऊना में वन रिपोर्ट-2017 के अनुसार जिला में गत दो वर्षों के दौरान वन आवरण में 27 सौ हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज हुई है तथा वन आवरण बढ़कर 55 हजार 600 हेक्टेयर तक पहुंच गया है। उन्होने बताया कि वर्तमान में जिला ऊना में 21 हजार 249 हैक्टेयर क्षेत्र वन विभाग के अधीन है जिनमें 4 हजार 453 हैक्टेयर रिजर्व फॉरेस्ट, 12 हजार 405 सीमांकित तथा 4 हजार 390 हेक्टेयर अन डिमार्केटिड वन क्षेत्र शामिल है।