केके मिश्रा ने उपरोक्त विषम आर्थिक स्थितियों का जिम्मेदार केंद्र सरकार को बताते हुए कहा कि हकीकत तो यह है कि 11 अप्रैल 2017 को वित्त मंत्रालय में नोटों की छपाई के लिए प्रोडक्शन प्लानिंग की बैठक हुई थी। बैठक में आरबीआई ने 2000 रू. के 100 करोड़ नोट छापने का प्रस्ताव रखा था, किंतु वित्त मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर बाकी छोटे नोट छापने के लिए मंजूरी दे दी थी।
यही नहीं पुणे, महाराष्ट्र के प्रमुख समाचार पत्रों ने 24 जुलाई 2017 को 2000 रुपये के नोट बंद होने की खबरें पहले ही प्रकाशित कर दी थीं। ऐसे में ये खबरें सच या झूठ थीं उसे लेकर वित्त मंत्रालय ने अपना स्पष्टीकरण क्यों नहीं दिया? आज जबकि व्यापक स्तर पर देश-प्रदेश में विवाह व अन्य मांगलिक कार्य प्रारंभ हो चुके हैं। लिहाजा, अपना ही पैसा बैंकों से नहीं निकाल पाने से जिन घरों में ऐसे आयोजन हैं, उनके सामने बड़ी समस्या उत्पन्न हो चुकी है।