राजकीय प्राथमिक पाठशाला परोईयां में छह महीने से 58 बच्चों का भविष्य एक अध्यापक के सहारे हैं। कई स्कूलों में 10 से 15 बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग ने दो से तीन तीन अध्यापक लगा दिए हैं जबकि 58 बच्चों की शिक्षा का जिम्मा एक अध्यापक पर डाल दिया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक अध्यापक सभी बच्चों को एक ही क्लास में इकट्ठे बैठाकर पढ़ाई करवा सकता है या फिर एक एक क्लास को छोड़कर पढ़ाए। अब अकेला शिक्षक पढ़ाए, मिड-डे मील बनाए या फिर कागजी कार्रवाई करे। स्कूल प्रबंधन कमेटी के प्रधान जुगल किशोर, रचना देवी, संतोष कुमारी, रेखा देवी, राजकुमार, विद्या देवी, जगदीश चंद, सोनू कुमार, राकेश कुमार, आशा देवी ने कहा है कि या तो इस स्कूल में स्टाफ उपलब्ध करवाया जाए या फिर इसे बंद कर दिया जाए। अगर प्रशासन और सरकार का ऐसा ही रवैया रहा तो मजबूरी में बच्चों की पढ़ाई को देखते हुए दूसरे स्कूलों का रुख करना पड़ेगा जिसके लिए सरकार व प्रशासन की जवाबदेही होगी। इस मामले में प्राथमिक शिक्षा उपनिदेशक हंसराज गुलेरिया ने कहा कि परोईयां स्कूल का मामला उनके ध्यान में है। इसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों तक पहुंचा दी गई है। जल्द ही स्कूल में पर्याप्त स्टाफ मुहैया करवा दिया जाएगा।