सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के रूप में उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ के नाम को मंजूरी नहीं दिए जाने को लेकर कांग्रेस ने पीएम मोदी पर ‘बदले की राजनीति’ का आरोप लगाया। पार्टी ने सवाल किया कि क्या दो साल साल पहले उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के खिलाफ फैसला देने की वजह से जस्टिस जोसेफ को पदोन्नति नहीं दी गई?
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया है, ”न्यायपालिका को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की ‘बदले की राजनीति’ और सुप्रीम कोर्ट का साजिशन गला घोंटने’ का प्रयास फिर बेनकाब हो गया है।” उन्होंने कहा, ‘जस्टिस जोसेफ भारत के सबसे वरिष्ठ मुख्य न्यायाधीश हैं। फिर भी मोदी सरकार ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायधीश नियुक्त करने से इनकार कर दिया। क्या यह इसलिए किया गया कि उन्होंने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को रद्द कर दिया था?”
खबरों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा के नाम को सरकार ने स्वीकृति दे दी है, लेकिन जोसेफ नाम को मंजूरी नहीं दी गई। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम से इन दोनों लोगों के नाम की फाइल 22 जनवरी को कानून मंत्रालय को मिली थी। गौरतलब है कि मार्च, 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाया था। कुछ दिनों बाद ही जस्टिस जोसेफ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसे निरस्त कर दिया था।
सुरजेवाला ने कहा, ”न्यायपालिका की गरिमा और संस्थाओं की संवैधानिक सर्वोच्चता को तार-तार करना मोदी सरकार की फितरत बन गई है। जून, 2014 में उन्होंने (सरकार) जानेमाने न्यायविद गोपाल सुब्रमण्यम के नाम को सुप्रीम न्यायालय के न्यायधीश के रूप मंजूरी नहीं दी क्योंकि वह अमित शाह और उनके लोगों के खिलाफ वकील रहे थे।”
उन्होंने दावा किया, ”मोदी जी ने पहले संसदीय विशेषाधिकार और सर्वोच्चता पर कुठाराघात किया फिर उन्होंने मीडिया की आजादी में दखल दिया। और अब लोकतंत्र की अंतिम प्रहरी न्यायपालिका अब तक के सबसे खतरनाक हमले का सामना कर रही है। उन्होंने कहा, ”अगर देश अब नहीं खड़ा हुआ तो सर्वसत्तावाद लोकतंत्र को खत्म कर देगा।”