सड़क किनारे दस रुपये में मिलने वाला गन्ने का जूस आपकी प्यास बुझाएगा और सेहत के लिए फायदेमंद भी होगा, यह सोचना गलत है। आप बड़े खतरे में हैं, संभल जाएं। गन्ने का जूस स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माना जाता है लेकिन जब वही जूस अमानक रूप से बेचा जाए तो निश्चित रूप से एहतियात बरतने की जरूरत है।गंदगी के साथ ही गन्ने का जूस बेचने का काम शहर में जोरशोर से चल रहा है जिसे लोग पेट में ठंडक पहुंचाने के लिए पी रहे है। इससे पेट खराब हो सकता है, टायफाइड व पीलिया जैसी बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। शहर में गन्ने की जूस की दुकानों पर जूस से ज्यादा उसमें बर्फ मिलाई जा रही है। उस बर्फ की गुणवत्ता पर भी कई बार सवाल उठते रहे हैं। शहर में मुख्य बाजार, हाईवे व गली-मोहल्लों के बीच करीब 50 स्थायी व अस्थायी दुकानों का जमघट है। इस बीच समीपवर्ती राज्य पंजाब से भी कई गन्ने के जूस को बेचने शहर का रुख करते हैं। इतना ही नहीं जलजीरा, राजस्थानी आइसक्रीम व फ्रूट जूस की कई रेहड़ियां हाईवे पर नजर आती हैं। हैरत इस बात की है कि सामने नजर आती सेहत से खिलवाड़ करती ऐसी कथित जूस की दुकानों पर किसी प्रशासनिक अधिकारी की नजर नहीं पड़ती। नतीजतन कहीं न कहीं जूस के नाम पर सरेआम बीमारी परोसी जा रही है। गंभीर बात यह भी है कि हाईवे पर कतारबद्ध दुकानों से होकर रोजाना इंदिरा मौदान को नन्हीं खेल प्रतिभाएं भी रु़ख करती हैं, साथ ही कई निजी व सरकारी स्कूल भी इस रास्ते के दूसरी तरफ स्थित हैं। भीषण गर्मी के चलते न चाहकर भी यहां बच्चे जूस पीने रुकते आम देखे जा सकते हैं।
यदि आप गन्ने का जूस पीने के लिए जा रहे हैं तो इसके लिए जूस वाले से कहकर जूस तुरंत निकलवाकर लें। साथ ही गन्ना पूरी तरह से साफ होना चाहिए। उसके ऊपर मिट्टी, मकड़ी का जाल आदि साफ कराकर ही जूस लें। इसके अलावा जो व्यक्ति जूस निकालकर दे रहा है तो उसके हाथ साफ हैं या नहीं, यह सुनिश्चित करें। वह दस्ताने पहने हो तो ही जूस लें। मशीन पर मक्खियां आदि बैठी रहती हैं। इसके लिए मशीन को धुलवाकर ही जूस निकलवाएं। मशीन सही चले इसके लिए उस पर ग्रीस भी लगाया जाता है, इसे भी साफ करवा लें तब ही जूस पीने लायक रहता है।