बेशक सरकार की कई घोषणाएं बजट के अभाव में धरातल पर नहीं उतर पाती हैं, लेकिन अगर किसी भी योजना के शुरू होने से पहले नब्बे फीसद तक बजट उपलब्ध करवा दिया जाए और काम न हो तो फिर दोष किसे दिया जाए? मंदिर न्यास चिंतपूर्णी द्वारा सरकार के विभिन्न विभागों को समय-समय पर विकास कार्यो के लिए अनुदान दिया जाता रहा है, बावजूद संवेदनहीनता व इच्छाशक्ति के अभाव धार्मिक नगरी में करोड़ों के विकास कार्य लटके हुए हैं। इतना ही नहीं कई जगहों पर योजना के शिलान्यास व पैसा उपलब्ध करवाने के उपरांत भी टेंडर आवंटित नहीं हो पाए हैं।
हालांकि मंदिर न्यास ¨चतपूर्णी पर प्रत्यक्ष रूप से स्थानीय कस्बे की सड़कों या पेयजल व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी नहीं है, लेकिन सामाजिक सरोकारों को ध्यान में रखते हुए न्यास ने आइपीएच विभाग व लोक निर्माण विभाग की मदद को सदैव हाथ बढ़ाया है। बावजूद ये विभाग विकास को गति देने के लिए उदासीन नजर आते हैं।
नारी-¨चतपूर्णी की उठाऊ पेयजल परियोजना के स्त्रोत सुधार का शिलान्यास पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र ¨सह ने पिछले वर्ष 15 सिंतबर को किया और ठीक उसी समय मंदिर न्यास ने 84.90 लाख रुपये के खर्च से बनने वाली इस योजना की नब्बे फीसद राशि यानी 76.50 लाख रुपये विभाग को दे दिए लेकिन साढ़े छह माह का समय बीत जाने के बाद भी काम शुरू हो नहीं पाया है। अभी तक टेंडर प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो पाई है।
शंभू बाईपास की मरम्मत के लिए मंदिर न्यास ने पीडब्ल्यूडी को साढ़े नौ लाख रुपये दिए, लेकिन दो वर्ष का समय बीत जाने के बाद यहां एक पैसा खर्च नहीं हुआ। भरवाई-¨चतपूर्णीमार्ग के लिए भी न्यास ने विभाग को 42.90 लाख रुपये की स्वीकृत राशि का 90 फीसद दिया, लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद विभाग कार्य को पूरा नहीं कर पाया है। वहीं, ¨चतपूर्णी के लिए सीवरेज योजना के लिए न्यास ने सोलह करोड़ रुपये स्वीकृत किए और पांच करोड़ 10 लाख रुपये आइपीएच विभाग को दिए भी। इस योजना का पहले चरण में कार्य काफी तेज गति से हुआ, लेकिन उसके बाद कई महीने से काम ठप पड़ा है। विभाग न्यास को अब तक खर्च की गई राशि का हिसाब-किताब भी नहीं दे पाया है और यह भी ज्ञात नहीं है कि इतना बड़ा प्रोजेक्ट कब पूरा होगा।