शिमला कसौली में अवैध निर्माण तोडऩे के अभियान के दौरान हुए गोलीकांड पर राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। मंगलवार को बद्दी से लौटे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को जैसे ही इस घटना का पता चला, उन्होंने ओकओवर में मुख्य सचिव विनीत चौधरी और डीजीपी समेत वरिष्ठ अधिकारियों का बैठक बुलाई। इसमें तय हुआ कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए अवैध होटल तोड़ो अभियान को जारी रखा जाएगा। पूरे कसौली को छावनी में बदल दिया गया है। सोलन के अलावा शिमला और सोलन से भी अतिरिक्त पुलिस बल भेजे गए हैं।
CM के निर्देश हैं कि अब डीजीपी और एसपी खुद मौके पर रहेंगे और ये अभियान पूरा करवाएंगे। पूरे क्षेत्र में भवन तोडऩे से पहले पुलिस सर्च आपरेशन चलाएगी, जिसमें अंदर रखे सामान और मौजूद लोगों के पास हथियारों की भी तलाश पहले होगी। बाकी प्रदेश के लिए भी ऐसे अभियानों के लिए सुरक्षा प्रोटोकोल बनाने के निर्देश हुए हैं, ताकि इस घटना की पुनरावृत्ति न हो।
मुख्यमंत्री ने गेस्ट हाउस के मालिक द्वारा कसौली की सहायक नगर नियोजक शैल बाला की गोली मार कर हत्या की घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया। जयराम ठाकुर ने कहा कि ऐसी घटनाओं को सहन नही किया जाएगा तथा दोषी को शीघ्र पकड़ा जाएगा तथा उसके खिलाफ कानून के अनुरूप सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था को हर हाल में बनाया जाएगा तथा सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का अक्षरश: पालन किया जाएगा।
कसौली में अवैध कब्जा हटाने गई टीम पर हुई गोलीबारी में एक महिला अफसर की मौत के बाद अब सरकारी अमले के लिए दुविधा की स्थिति है। एक तरफ कोर्ट हैं और दूसरी तरफ गोली है। अब किसको चुनें? ये घटना भू माफिया के ऐसे चेहरे को सामने ला रही है, जो सरकारी विभागों की शुरुआती लापरवाही से इतना पनप जाता है कि फिर इसे कोर्ट के आदेशों के बाद भी नहीं हटता। कसौली की इस घटना से सरकारी अमला सन्न है। शिमला में सचिवालय से लेकर अन्य सरकारी विभागों में इस घटना की चर्चा आग की तरह फैली।
चिंता की बात यह है कि अकेला कसौली नहीं है, जो अवैध कब्जाधारियों या अवैध निर्माण का गढ़ बना है। और भी कई शहरों में अवैध निर्माण को गिराने के लिए आदेश कोर्ट दे चुके हैं। एनजीटी ने शिमला शहर को लेकर भी ऐसे ही निर्देश पहले दिये थे। यहां भी अवैध भवनों को नियमित करने का मसला लंबित है।
कल को यदि इस स्तर तक अवैध कब्जे हटाने की नौबत आई तो क्या होगा? धर्मशाला के मकलोडग़ंज, शिमला बाइपास, कुल्लू मनाली के कसोल आदि क्षेत्र और चंबा के डलहौजी के लिए भी कोर्ट या एनजीटी से ऐसे आदेश हुए हैं। कई मामलों में अभी बिजली पानी काटा गया है। नौबत यहां भी अवैध कब्जा हटाने की आएगी। ऐसे में सरकारी विभाग कैसे ये कार्रवाई करेंगे? ये बड़ा सवाल है।