पिछले 9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने जल बंटवारे के लिए केंद्र की तरफ से योजना न बनाए जाने पर असंतोष व्यक्त किया था। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वे 3 मई तक इस संबंध में ड्राफ्ट का मसौदा पेश करें।सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि आपने हमारे आदेश के बाद छह हफ्ते में न तो स्कीम बनाया, और न ही 31 मार्च के पहले अपनी समस्या बताने के लिए हमारे पास आए। आपको ये स्कीम बनानी ही होगी, आप इससे भाग नहीं सकते हैं। कोर्ट ने कहा था कि जब केंद्र अपना ड्राफ्ट मसौदा हमारे पास लाएगा, तब उस पर अंतिम मुहर लगाने से पहले हम तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पुड्डुचेरी का पक्ष भी पूछेंगे।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की चिंताओं से सहमति जताई थी। केंद्र सरकार ने कहा था कि हमें ये स्कीम लाने के लिए 12 मई के बाद का समय दिया जाए। सरकार ने कहा कि कर्नाटक में चुनाव है, लिहाजा उसके बाद इस स्कीम के लिए समय दिया जाए, लेकिन कोर्ट ने केंद्र की इस दलील को खारिज कर दिया।
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इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो ड्राफ्ट मसौदे को तैयार करने के लिए उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी 8 मई तक दाखिल करें। मामले पर अगली सुनवाई 8 मई को होगी।पिछले 27 अप्रैल को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से ड्राफ्ट मसौदा पेश करने के लिए और दो सप्ताह समय देने की मांग की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया था।