Home Uncategorized ‘कस्टम हायरिंग सेंटरों’ में किराए पर उपलब्ध करवाई जाएगी कृषि मशीनरी :...

‘कस्टम हायरिंग सेंटरों’ में किराए पर उपलब्ध करवाई जाएगी कृषि मशीनरी : मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर….

22
0
SHARE
प्रदेश सरकार ने सीमित वित्तीय संसाधनों के बावजूद प्रदेश तथा किसान समुदाय का चहुंमुखी एवं समान विकास सुनिश्चित बनाने के लिए राज्य में अनेक नई योजनाओं को प्रस्तावित किया है। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज कांगड़ा जिले के धर्मशाला में कृषि विभाग द्वारा ‘फसल विविधता के अवसर एवं चुनौतियां’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान समुदाय की खुशहाली सुनिश्चित बनाने के लिए सिंचाई, कृषि, बागवानी तथा सम्बद्ध क्षेत्रों में अनेक नई योजनाअें को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में शून्य लागत प्राकृतिक कृषि को मिशन के रूप में प्रोत्साहित करने के लिए ‘प्राकृतिक खेती, खुशहाल किसान’ नामक नई योजना को आरम्भ किया गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में खेतों में मशीनों का उपयोग आवश्यक है, लेकिन कई किसान टै्रक्टर, पॉवर टिल्लर इत्यादि मशीनों को खरीदने में असमर्थ हैं। राज्य सरकार ने प्रदेश में ‘कस्टम हायरिंग सेंटर्ज’ स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है जहां किसान इन मशीनों को किराए पर ले सकेगें। उन्होंने कहा कि ये सभी प्रोत्साहन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2022 तक किसानों की खेती से आय को दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल करने की प्रतिबद्धता का हिस्सा है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि भारत तथा जापान दोनों देशों में सांस्कृतिक एवं समाजिक दृष्टि से कई समानताएं हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बे-मौसमी सब्जियों तथा फलों के उत्पादन की आपार सम्भावना है तथा प्रदेश सरकार ने किसानों को उनके उत्पादन के लिए उचित दाम सुनिश्चित करने के लिए 59 सब्जी मण्डियां स्थापित की हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के विकास के लिए हमें किसान समुदाय के विकास पर बल देना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में किसानों की खेती से आय को बढ़ाने के लिए हिमाचल प्रदेश फसल विविधता प्रोत्साहन परियोजना (एचपीसीडीपी) कार्यान्वित की गई है। उन्होंने 321 करोड़ रुपये की क्रियान्वित की जा रही परियोजना में 266 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने के लिए जापान सरकार का भी धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में सूक्ष्म सिंचाई परियोजना से सिंचाई सुनिश्चित बनाना तथा कृषक विकास संघ गठित कर किसान समुदायों को सिंचाई के मालिकाना अधिकार हस्तांरित करना कृषि विभाग के विशेषज्ञों द्वारा बनाई गई इस परियोजना की मुख्य विशेषताएं हैं।
जय राम ठाकुर ने जापान सरकार से इस परियोजना के 1009 करोड़ रुपये के द्वितीय चरण पर विचार करने का आग्रह किया। यह परियोजना भारत सरकार के माध्यम से जीका को सौंप दी गई है। उन्होंने इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार की ओर से हर सम्भव तर्कसंगत सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर जीका के विभिन्न प्रकाशनों का भी विमोचन किया।
कृषि मंत्री डॉ. राम लाल मारकण्डा ने कहा कि जीका-ओडीए परियोजना हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्य के लिए पूरी तरह से उपयुक्त है, क्योंकि प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहां फसल विविधता के लिए सिंचाई सुविधा प्रदान करना एक बड़ी चुनौती/बाधा है। उन्होंने कहा कि संचालित की जा रही इस परियोजना से 4238 हैक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई की सुविधा प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सौर ऊर्जा जल उठाऊ पम्प स्थापित किए गए हैं तथा इसके अधिकारों को कृषि विकास संघों को सौंप दिया गया है। उन्होंने कहा कि 1400 हैक्टेयर क्षेत्र से अधिक भूमि को सब्जियों के उत्पादन के अन्तर्गत लाया गया है, जिससे किसानों की आय में चार से पांच गुणा की बढ़ौतरी होगी। उन्होंने कहा कि बेहतर विपणन को सुनिश्चित बनाने के लिए खेतों के लिए सड़कें, संग्रहण केन्द्र तथा स्वयं सहायता समूह सहायक सिद्ध हुए हैं।
डॉ. मारकण्डा ने कहा कि प्रदेश सरकार का विशेष ध्यान अब आगामी दो वर्षों में फसल विविधिकरण योजनाओं के क्रियान्वयन पर होगा ताकि अधिक से अधिक क्षेत्र को फसल विविधता के अन्तर्गत लाया जाए जिससे प्रदेश के किसानों की आय में बढ़ौतरी हो।
भारत में जीका के मुख्य प्रतिनिधि तकेमा साकामोटो ने देश में निर्माणाधीन जीका ओडीए तथा टीसीपी परियोजनाओं के सुचारू क्रियान्वयन के लिए हर सम्भव सहायता प्रदान करने के लिये राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जीका परियोजनाओं को विश्वभर के 100 देशों में कार्यान्वित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में जीका की कई परियोजनाअें को कार्यान्वित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएं कृषि क्षेत्र से जुड़ी जानकारी तथा अनुभवों को सांझा करने में बेहद महत्वपूर्ण होती हैं। उन्होंने कहा कि सम्मेलन में मुख्यमंत्री की उपस्थिति कृषि विकास की दिशा में राज्य सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाती है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त व कृषि डा. श्रीकांत बाल्दी ने सम्मेलन में आए प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि क्षमता निर्माण पर आधारित जीका परियोजना अपने आप में एक अनूठी परियोजना है। उन्हांने कहा कि परियोजना राज्य के पांच जिलों में कार्यान्वित की जा रही है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय में बढ़ौतरी करने के लिये मात्र विकल्प फसल विविधिकरण है। उनहोंने कहा कि इसके लिये अधिक से अधिक क्षेत्र को सिंचाई सुविधाओं के तहत लाने पर बल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जीका परियेजना राज्य में किसानों की आर्थिकी में बदलाव लाने के लिये प्रतिबद्ध है।
कृषि निदेशक डा. देसराज ने राज्य कृषि विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में मुख्यमंत्री, मंत्रियों तथा प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य किसानों को कृषि विविधिकरण के लिये प्रोत्साहित करना है।
परियोजना निदेशक डा. वी.के. शर्मा राज्य में जीका परियोजना के अंतर्गत कार्यान्वित की जा रही विभिन्न परियोजनाओं पर प्रस्तुति दी।
खाद्य व नागरिक आपूर्ति मंत्री किशन कपूर, शहरी विकास मंत्री सरवीण चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार, उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर,  विधायक रवि धीमान व होशियार सिंह, पूर्व विधायक दुलो राम, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति, कांगड़ा के उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक सहित अन्य गणमान्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here