मध्य प्रदेश में बीते एक सप्ताह में छह किसानों ने कर्ज और समय से उपज का भुगतान नहीं हो पाने से परेशान होकर आत्महत्या कर ली है। कांग्रेस ने 7 दिनों में 6 किसानों की आत्महत्याओं पर सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस के गुना सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किसानों की आत्महत्या को प्रदेश और सरकार के लिए शर्म बताया है। जबकि मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री मुरलीधर पाटीदार ने किसानों की आत्महत्या पर अजीबोगरीब बयान देकर विवाद पैदा कर दिया है। बड़वानी में मीडिया से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि किसानों की खुदकुशी के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है, इसका कारण खुद किसान ही जानता है क्या हैं।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट करके कहा कि शिवराज जी, देश की राजनीति, कर्नाटक की चिंता छोड़, अपने प्रदेश की चिंता कीजिए..जिसके लिये मध्य प्रदेश की जनता ने आपको चुना है। 6 दिन में 6 किसानों ने आत्महत्या की है। शेखचिल्ली के सपने छोड़, वास्तविक धरातल पर जवाबदारी निभाइए। कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, “देखिए मप्र में हमारे अन्नदाताओं के हालात. किसान ने अपने 17 साल के बेटे को गिरवी रख दिया और फिर भी कर्ज न चुका पाए तो आत्महत्या कर ली। प्रदेश के लिए अत्यंत शर्म की बात।”
बुधवार को नरसिंहपुर जिले के सुआताल थाना क्षेत्र के गुड़वारा गांव में 40 साल के मथुरा प्रसाद ने कर्ज से परेशान होकर जान दे दी। मथुरा प्रसाद के परिवार ने बताया कि उन पर लगभग ढाई लाख का कर्ज था, जिसे वह चुकाने में असमर्थ रहे। इससे दुखी जहरीला पदार्थ पीकर जान दे दी।
– राजगढ़ के खानपुरा थाना क्षेत्र के बोड़ा गांव में 80 वर्षीय बंशीलाल अहिरवार ने फांसी के फंदे से लटककर जान दे दी। बुधवार को बंशीलाल ने आत्महत्या की।
-बुरहानपुर में एक किसान ने कर्ज चुकाने के एवज में अपने बेटे को गिरवी रखा और जब वह कर्ज चुकाकर बच्चे को नहीं छुड़ा पाया तो उसने आत्महत्या कर ली।
-धार के बदनावर में भी 40 वर्षीय किसान जगदीश ने कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। परिवार ने कर्ज नहीं चुका पाने को बताया वजह।
-उज्जैन के कडोदिया में किसान राधेश्याम और रतलाम में एक किसान ने जान दी है।
अखिल भारतीय किसान संघ का कहना है कि राज्य में सात दिन में छह किसानों की आत्महत्या से साफ है कि किसान परेशान हैं और सरकार उनकी मदद नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि किसान कई दिनों तक मंडी में फसल लिए खड़े रहते हैं और खरीद नहीं होती। यदि खरीद हो जाए तो भुगतान में कई सप्ताह लग जाते हैं। संघ के अनुसार, एक तरफ किसान की उपज कम हुई है, तो वहीं उस पर कर्ज बढ़ा है। किसान पर सहकारी समितियों से लेकर साहूकारों तक का दबाव है। किसान ने कर्ज लेकर बेटी की शादी की है तो किसी ने दूसरे जरूरी काम निपटाए हैं।