डायरेक्टर मेघना गुलजार ने ‘फिलहाल’ और कुछ साल पहले आरुषि तलवार मर्डर मिस्ट्री पर आधारित फिल्म ‘तलवार’ बनाई थी, जिसे काफी सराहा गया था. अब मेघना ने फिल्म ‘राजी’ के साथ असल जिंदगी पर आधारित भारतीय जासूस की कहानी दर्शाने की कोशिश की है. जानते हैं हरिंदर सिक्का के उपन्यास ‘कॉलिंग सहमत’ पर आधारित इस फिल्म के बारे में…
कहानी:
फिल्म की कहानी कश्मीर के रहने वाले हिदायत खान ( रजित कपूर) और उनकी बेगम तेजी (सोनी राजदान) से शुरू होती है, जिनकी बेटी सहमत ( आलिया भट्ट) दिल्ली में पढ़ाई करती है. भारत के जासूसी ट्रेनिंग के हेड खालिद मीर (जयदीप अहलावत ) हिदायत के बड़े अच्छे दोस्त होते हैं. हिदायत का काम खुफिया जानकारियों को सही समय पर देश की सुरक्षा के लिए सही जगह पहुंचाना है. इसी बीच कुछ ऐसा होता है, जिसकी वजह से सहमत की शादी पाकिस्तान के आर्मी अफसर के छोटे बेटे इकबाल सैयद (विक्की कौशल ) से कर दी जाती है.
जब सहमत पाकिस्तान पहुंचती है तो कई पाकिस्तानी दस्तावेज और खुफिया जानकारी भारत की सुरक्षा एजेंसियों तक पहुंचाती है. इसी बीच बहुत सारे ट्विस्ट और टर्न्स आते हैं और भारत-पाकिस्तान के बीच हुए 1971 के युद्ध के बारे में बहुत बड़ा खुलासा भी होता है. एक तरफ सहमत पाकिस्तानी परिवार की बहू तो दूसरी तरफ भारत की बेटी होती है. अंततः क्या होता है, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.
क्यों देखें फिल्म :
फिल्म की कहानी वैसे तो हरिंदर सिक्का के उपन्यास ‘कॉलिंग सहमत’ पर आधारित है, लेकिन जिस तरह से इसका स्क्रीनप्ले और सिलसिलेवार घटनाएं लिखी गई हैं, वह काबिले-तारीफ है. इस तरह की कहानी सुनाना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन मेघना गुलजार ने अपने सटीक डायरेक्शन और बढ़िया रिसर्च के साथ लाजवाब प्रोडक्ट पेश किया है.
जिस तरह से 70 के दशक की चीजों को भारत के कश्मीर और पाकिस्तान के इलाकों के द्वारा दिखाया गया है वह बहुत ही दर्शनीय है. इसी के साथ जासूसी कोड को बड़े ही बारीकी के साथ पेश किया गया है.
फिल्म की लोकेशन अच्छी है और 2 घंटे 20 मिनट की इस फिल्म को देखकर लगता ही नहीं कि यह मात्र 49 दिनों में शूट की गई है.
परफॉर्मेंस के हिसाब से एक बार फिर से आलिया भट्ट ने बता दिया है कि उन्हें बेहतरीन अदाकारा क्यों कहा जाता है. विक्की कौशल ने बेटे और पति का किरदार बड़े ही सहज अंदाज में निभाया है. वहीं कोच के रूप में जयदीप अहलावत और माता पिता के रूप में सोनी राजदान और रजित कपूर का काम बहुत बढ़िया है .अमृता खानविलकर ने भी अच्छा काम किया.
फिल्म के गाने बड़े ही अच्छे तरीके से कहानी के साथ पिरोए गए हैं और बैकग्राउंड स्कोर भी लाजवाब है.
कमजोर कड़ी:
फिल्म में ज्यादा खामी नजर नहीं आती है. कहा जा सकता है कि एक जासूस के रूप में ऐसे अनकहे और अनसुने हीरो की दास्तांन बताई गई है जो शायद सभी को पता होनी चाहिए.
बॉक्स ऑफिस:
फिल्म का बजट लगभग 30 करोड़ बताया जा रहा है और खबरों के मुताबिक फिल्म के डिजिटल राइट्स और सैटेलाइट पहले ही बेचे जा चुके हैं, जिस वजह से यह फिल्म मुनाफे का सौदा ही है. देखना बेहद दिलचस्प होगा कि वीकेंड की कमाई कितनी होने वाली है. वर्ड ऑफ माउथ इस फिल्म को और भी आगे ले जाने वाला है.