Home हिमाचल प्रदेश राज्यपाल कालका-शिमला रेलवे टै्रक पर स्वच्छता अभियान का शुभारम्भ करेंगे….

राज्यपाल कालका-शिमला रेलवे टै्रक पर स्वच्छता अभियान का शुभारम्भ करेंगे….

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राज्यपाल आचार्य देवव्रत कालका-शिमला रेवले टै्रक के साथ बाबा भलकू संग्रहालय में हि.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में 12 मई, 2018 को प्रातः 9ः30 बजे आयोजित किए जा रहे बृहद स्वच्छता, बचाव एवं संरक्षण अभियान का शुभारम्भ करेगे।
राज्यपाल शिमला रेलवे स्टेशन तक अभियान का नेतृत्व करेंगे तथा इस दौरान उनके साथ हि.प्र. उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजय करोल, हि.प्र. उच्च न्यायालय के उच्च न्यायाधीश, न्यायपालिका के सदस्यगण, राज्य तथा केन्द्र सरकारों के अधिकारी, रेलवे तथा अन्य प्रतिभागी भी शामिल होंगे।
हि.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं सदस्य सचिव प्रेम पाल रान्टा ने कहा कि यह अभियान शायद अपनी तरह का अभियान है, जिसमें इतने बडे़ पैमाने पर लगभग 10 हजार विद्यार्थी, स्वयं सेवक, नागरिक समाज के सदस्य, भारतीय रेलवे, प्रादेशिक सेना, पंचायतें, हिमाचल सरकार के विभिन्न विभाग, नागरिक सुरक्षा, पैरा-लीगल, अधिवक्ता, इन्टैक जैसे स्वयंसेवी संस्थान ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का ज़मीनी स्तर पर हिस्सा बनेंगे।
उन्होंने कहा कि अभियान एक साथ 43 विभिन्न क्षेत्रों में आरम्भ होगा और ये क्षेत्र शिमला से कालका के बीच 96 किलोमीटर टै्रक के साथ चिन्हित किए गए हैं। इस अभियान के दौरान कुछ रखरखाव तथा वनीकरण का कार्य भी किया जाएगा, जिसका संचालन हिमाचल ‘ईको वारियर’ प्रादेशिक सेना करेगी। इस प्रारम्भिक प्रयास के बाद इसके प्रभाव का आकंलन तथा फालो-अप करने की भी योजना है।
कालका शिमला रेलवे टै्रक ईस्ट इण्डियन रेलवे की शाखा दिल्ली-अम्बाला-कालका के साथ सम्पर्क के रूप में आवाजाही के लिए 9 नवम्बर 1903 में खोला गया था। आरम्भ में इसमें 107 सुरंगे थी और वर्ष 1930 में इनमें से कुछ क्रियाहीन हो गई और 103 सुरंगे याद की जाती हैं। व्यवहारिक तौर पर आज इस मार्ग पर 102 सुरंगे हैं, लेकिन परम्परा के अनुसार लाइन में 103 सुरंगे मानी जाती है। लाइन पर 800 पुल तथा 900 मोड़ हैं और समय के साथ इस अवधि के दौरान लाइन 36 मीटर से अधिक ब्यास के विपरीत घुमावों (रिवर्स कर्व) के अनुक्रम के माध्यम से गुजरती है। सभी सुरंगे 1900 तथा 1903 के बीच निर्मित की गई हैं। सबसे लम्बी सुरंग बड़ोग की है, जो एक किलोमीटर से अधिक लम्बी है।
टै्रक पर पुल रोम के जल सेतुओं से मेल खाते हैं और सबसे लम्बे आर्क वायडक्ट के लम्बाई 2.8 किलोमीटर है। टै्रक का निर्माण निजी कम्पनी द्वारा मुख्य अभियन्ता एच.एस. हैरिंगटन तथा कालका शिमला रेलवे के एजेंट की देख-रेख में किया गया था। रेलवे को राज्य ने 1906 में खरीदा था और उस वक्त निर्माण के समय इसकी लागत 1,71,07,748 रुपये थी। इस सम्बन्ध में कहानी एक मजदूर बाबा बलकू द्वारा बताई गई है। उसका दावा है कि रेलवे लाइन का टै्रक पता लगाने में देवता ने उनकी मदद की थी। वे पहाड़ियों पर स्टाफ के साथ पैदल चलते गए और कहा जाता है कि इंजीनियर भी उनकी इस अलौकिक शक्ति से हैरान थे, लेकिन हमेशा ही उनको नजरअंदाज करते रहे। कालका-शिमला रेलवे लाइन भलकू द्वारा दर्शाए गए मार्ग के अनुरूप निर्मित की हुई मानी जाती है।
वर्ष 2008 में इसकी विरासत की पहचान तथा एतिहासिक टै्रक के तौर पर प्रमाणिकता के बाद शिमला कालका रेलवे टै्रक को यूनेस्को द्वारा ‘विश्व धरोहर स्थल’ के रूप में अंकित किया गया।

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