येदियुरप्पा के शपथ ग्रहण पर तत्काल रोक लगाने की कांग्रेस-जेडीएस की अर्ज़ी ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम राज्यपाल के फ़ैसले पर न्यायिक समीक्षा कर सकते हैं, लेकिन उन्हें रोकने के आदेश कैसे जारी करें. आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट राज्यपाल को आदेश जारी नहीं करता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे पास वो चिट्ठी तक नहीं है, जो राज्यपाल ने बीजेपी को लिखी है. ऐसे में हम शपथग्रहण को नहीं रोक सकते. हम पहले वो चिट्ठी देखना चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार सुबह सुबह 10:30 बजे फिर इस मामले पर सुनवाई करेगा.
कोर्ट के इस फ़ैसले पर कांग्रेस-जेडीएस की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने ऐतराज़ जताते हुए कहा कि शपथ ग्रहण को दो दिनों के लिए क्यों नहीं टाला जा सकता. शपथ हो गया तो फिर क्या अर्थमैटिक बचेगा. कम से कम आज शाम साढ़े चार बजे तक शपथ को टाला जाए और येदियुरप्पा की चिट्ठा फ़ैक्स के ज़रिए मंगाई जाए. इससे सारी तस्वीर साफ़ हो जाएगी. सिंघवी की इस मांग पर सुप्रीम कोर्ट राज़ी नहीं हुआ. सिंघवी ने कहा कि हमारे पास 117 विधायक हैं. राज्यपाल से मुलाक़ात के बाद कुमारस्वामी ने बहुमत के साथ सरकार बनाने का दावा भी कर दिया था, इसके बावजूद राज्यपाल ने हमें नहीं बुलाया. 104 विधायकों वाली बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दे दिया, ऐसे में बीजेपी कैसे बहुमत साबित कर पाएगी.
केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने शपथग्रहण रोकने की कांग्रेस-जेडीएस की मांग पर कहा कि कोई शपथ ले ले तो आसमान नहीं टूट पड़ेगा. रोहतगी ने इस मामले पर इतनी जल्द सुनवाई पर भी आपत्ति जताई और कहा कि रात 9 के बाद याचिका आई और इस वक़्त सुनवाई, मुझे लगता है कि ये पूरी तरह ग़लत है. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सारा मामला आशंकाओं पर आधारित है. सुप्रीम कोर्ट ने एजी से पूछा कि क्या मंत्रिमंडल से पहले विधायकों को शपथ दिलाई जा सकती है, जिसके जवाब में एजी ने कहा कि ऐसी परंपरा नहीं है. पहले सीएम और मंत्रिमंडल ही शपथ लेते हैं.