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SC से येदियुरप्पा को 24 घंटे का अल्टीमेटम, आंकड़े जुटाने में लगी बीजेपी…

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सरकार बनाने को लेकर जारी कसरतों के बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक बार फिर से सारी नज़रें बेंगलुरू पर आकर टिक गई हैं। राज्यपाल वजुभाई वाला की तरफ से बीएस येदियुरप्पा को सरकार गठन के लिए न्योता देने के फैसले की कानूनी वैधता से सुप्रीम कोर्ट ने परहेज किया। लेकिन, मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने के लिए दी गई समय सीमा को घटाकर शनिवार को चार बजे तक कर दिया गया है।

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्यपाल वजुभाई वाला के फैसले पर वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और अभिषेक मनु सिंघवी के बीच जमकर जिरह हुई। रोहतगी बीजेपी विधायकों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, जिनका कहना था कि येदियुरप्पा ने सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने का दावा पेश किया। येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री के पद की नियुक्ति को चुनौती देनेवाले याचिकाकर्ताओं के वकील सिंघवी का कहना था कि राज्यपाल वजुभाई वाला को कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को सरकार बनाने के लिए बुलाना चाहिए, जिन्हें जरूरी विधायकों का समर्थन प्राप्त था।

हालांकि, रोहतगी ने कांग्रेस-जेडीएस विधायकों के पत्र में शामिल नामों की वास्तविकता पर सवाल उठा दिया। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन से राज्यपाल वाला को ऐसा कोई दस्तखत किया हुआ पत्र नहीं मिला था।

तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि राज्यपाल वाला के कदम की कानूनी वैधता का निर्धारण बाद में किया जाएगा लेकिन फिलहाल जरूरत फ्लोर टेस्ट कराए जाने की है। सिंघवी इस बात पर राजी हुए लेकिन उन्होंने पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी और पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग की ताकि विधायक बिना किसी डर के वोट कर सके। शीर्ष अदालत ने कर्नाटक पुलिस से कहा है कि वह शनिवार को होने जा रहे शक्ति परीक्षण को लेकर सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त करे। इसके साथ ही, राज्यपाल वाला से कहा गया है कि वे एंग्लो-इंडियन समुदाय के सदस्य को विधायक के तौर पर फ्लोर टेस्ट होने तक नामित नहीं करे।

224 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल 221 विधायक चुनकर आए हैं। दो सीटों पर चुनाव नहीं हो पाया है जबकि जेडीएस नेता कुमारस्वामी दो सीट से चुनाव जीते हैं।

बीजेपी को अपनी बदौलत 104 सीटें है और एक निर्दलीय विधायक के समर्थन का दावा किया है। इसे 111 वोट चाहिए जिसके लिए या तो कांग्रेस या फिर जेडीएस के दो तिहाई विधायक टूटकर आए। बीजेपी विधायक यह मानते हैं कि मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में यह असंभव है।

उसके बाद उनके पास यह दूसरा विकल्प बचता है कि 13 विधायक कांग्रेस या जेडीएस या फिर दोनों से ही शक्ति परीक्षण के दौरान अनुपस्थित रहे। इससे सदन की संख्या कम हो जाए और उसके बाद बीजेपी के लिए अपना बहुमत साबित करना आसान हो जाएगा। यह एक ऐसा विकल्प है जिस पर पार्टी काम कर रही है।

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