इसके साथ ही मध्यप्रदेश में बीजेपी के अध्यक्ष राकेश सिंह, मंत्री लालसिंह आर्य, मंत्री विश्वास सारंग, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय एवं खुद सीएम शिवराज सिंह भी राहुल की रैली के जवाब में इधर-उधर के तंज मारते और उनके व्यक्तित्व को नकारने की कोशिश करते नज़र आये।
जहां राकेश सिंह ने राहुल को सपने देखने का आदी बताया और पूछा कि राहुल गांधी कब बड़े होंगे, तो वहीं सीएम शिवराज ने कहा कि राहुल गांधी, मंदसौर में घड़ियाली आंसू बहाने आए हैं। जबकि बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय तो इससे भी आगे बढ़ते हुए कह गए कि राहुल गांधी के मध्यप्रदेश आने से बीजेपी की जीत आसान हुई। इसी तरह प्रदेश में बीजेपी के मंत्रियों गौरीशकंर बिसेन, विश्वास सारंग और लालसिंह आर्य ने भी राहुल गांधी पर इसी तरह के बयान दिये।
ऐसे में सवाल उठता है कि राहुल गांधी जब परिपक्व नहीं हैं और उनके आने से बीजेपी को फायदा हुआ है तो फिर बीजेपी के नेताओं में राहुल के दौरे से इतनी बेचैनी क्यों बढ़ी है। अगर राहुल के दौरे का कोई असर प्रदेश की राजनीति पर नहीं हुआ है तो प्रदेश के सभी कद्दावर मंत्री इस रैली का जवाब देते क्यों नज़र आ रहे हैं। आखिर क्यों केंद्र से लेकर प्रदेशस्तर के बीजेपी नेता केवल राहुल की रैली पर ही बोलते नज़र आ रहे हैं। और सबसे बड़ी बात कि ऐसी क्या आफत आन पड़ी थी जो राहुल की रैली के वक्त बीजेपी के कई नेताओं को प्रदेश भर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ीं।
इससे साफ होता है कि प्रदेश में सत्ता पक्ष भले ही मजबूत दिखता हो, लेकिन पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस की रणनीति में आए आक्रामक बदलाव के बाद बीजेपी में छटपटाहत तो है। हालांकि जिस तरह केवल राहुल की रैली के लिए बीजेपी के इतने सारे नेताओं को बयान देने पड़े वो बताता है कि बीजेपी जताए कुछ भी, लेकिन वो राहुल को हल्के में लेने की गलती बिल्कुल भी नहीं करेगी।