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अनु.जाति/अनु.जनजाति के लोगों के साथ अत्याचार पर हो कड़ी कार्रवाई : डॉ. किरिट….

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अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कल्याण संबंधी संसदीय समिति ने हिमाचल प्रदेश में अपने अध्ययन दौरे के दौरान आज यहां मुख्य सचिव तथा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक की अध्यक्षता संसदीय समिति के अध्यक्ष डा. किरिट पी. सोलंकी ने की। समिति के अन्य सदस्यों में डा. रामचरितर निशाद, डा. पी.के. बीजू, अन्जु बाला, राम कुमार वर्मा, डी. आर. शेखर, शमशेर सिंह ढुलो, प्रो. सीताराम अजमीरा नायक, प्रतिमा मण्डल, मुकेश कुमार तथा एल. सिंगसन भी बैठक में मौजूद रहे।
डा. किरिट पी. सोलंकी ने हिमाचल प्रदेश में भी अन्य राज्यों की तर्ज पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आयोग के गठन की बात कही। उन्होंने अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ अत्याचारों के मामलों में कड़ी कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने कहा कि देशभर में अत्याचार होते हैं, लेकिन इनकी सही रिपोर्टिंग नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि मामले रफा-दफा नहीं किए जाने चाहिए और न ही किसी प्रकार के दबाव के चलते इनमें समझौता किया जाना चाहिए और शीघ्र न्याय के लिये फास्ट ट्रैक न्यायालयों की स्थापना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिनियम के तहत पीड़ित व्यक्ति निजी अधिवक्ता की सेवाएं भी ले सकता है।
उन्होंने राज्य सरकार के अधिकारियों से कहा कि अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वर्गों के लिये धन का उपयुक्त आवंटन किया जाना चाहिए और पूरी राशि को इनके कल्याण के लिये खर्च किया जाना चाहिए। हालांकि, उन्होंने हिमाचल प्रदेश में इन वर्गों के कल्याण के लिये किए जा रहे कार्यों पर संतोष जताया।
मुख्य सचिव विनीत चौधरी ने इस अवसर पर राज्य में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के लिये राज्य सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों पर विस्तृत प्रस्तुति के दौरान कहा कि प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लोगों के उत्थान के लिये अनेक योजनाएं व कार्यक्रम प्रभावी रूप से कार्यान्वित किए हैं। राज्य में अनुसूचित जाति की आबादी 25.19 प्रतिशत जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 8.88 प्रतिशत है। अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत राज्य बजट का 25.19 प्रतिशत खर्च किया जा रहा है। वर्ष 2018-19 के लिये 1586.97 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं। इसी प्रकार, जनजातीय उपयोजना के अंतर्गत 2017-18 के दौरान 65 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है।
मुख्य सचिव ने समिति को अवगत करवाया कि प्रदेश में राज्य अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति विकास निगम की स्थापना की गई है जिसके माध्यम से इन वर्गों के उत्थान के लिये अनेक योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। इनमें स्वरोजगार योजना,
हिमस्वावलंबन योजना, शिक्षा ऋण योजना, आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना, हस्तशिल्प योजना, विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम इत्यादि शामिल हैं। पिछले तीन वर्षों के दौरान निगम द्वारा 810 लाभार्थियों को 374.54 करोड़ रुपये की ऋण सहायता प्रदान की गई है।
मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य ने शिक्षा तथा स्वास्थ्य में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के जनजातीय जिलों में यहां तक कि दो बच्चों के लिये भी स्कूल और अध्यापक उपलब्ध करवाए गए हैं। उन्होंने कहा कि बजाए आवासीय सुविधा प्रदान करने के गांव के समीप स्कूल खोले हैं ताकि बच्चे अपने अभिभावकों के संरक्षण में रह सकें। उन्होंने कहा कि जनजातीय जिला लाहौल-स्पिति तथा चम्बा के पांगी में लोगों को स्वास्थ्य उपचार प्रदान करने के लिये निःशुल्क टैलीमेडिसिन सुविधा प्रदान की गई है और जल्द ही यह सुविधा राज्य के 20 और स्थानों में प्रदान की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य में 20 से 25 हजार लोगों पर स्वास्थ्य केन्द्र की सुविधा उपलब्ध है, जो राष्ट्रीय स्तर पर 80000 लोगों पर है। उन्होंने कहा कि अंतरजातीय विवाह के लिये 50000 रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है। इन वर्गों के लोगों को सरकारी नौकरियों में निर्धारित आरक्षण प्रदान किया जा रहा है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, विभागाध्यक्ष तथा राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।

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