भाषा एवं संस्कृति विभाग की सचिव डॉ. पूर्णिमा चौहान ने आज यहां कहा कि मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर द्वारा बजट में घोषित की गई ‘मिनीएचराइजिंग हिमाचल हेंडीक्राफ्ट’ के अनुरूप ऐतिहासिक बैंटनी कैसल में मई माह में ग्राम शिल्प मेले का आयोजन किया गया। इस शिल्प मेले के दौरान प्रदर्शित हिमाचली शिल्पकारों द्वारा बनाए गए उत्पादों को लघु रूप में प्रदर्शित किया गया ताकि भविष्य में प्रदेश में आने वाले पर्यटक इन स्मृति चिन्हों को अपने साथ ले जा सकें।
उन्होंने कहा कि कांगड़ा चित्रकला फ्रिज मेगनेटस व कोस्टर पर बनाई गई है। पहाड़ी शॉल/टोपी बार्डर के स्टिचिंग टेप बन गए हैं। रणसिंगे व करनाल जैसे वाद्ययंत्रों व देवी के मुखौटों को लघु रूप दिया गया है। इसके अतिरिक्त भाषा कला अकादमी ने हिमाचल में लुप्त हो रही हस्तलिपियों की सुन्दर पुस्तिका भी प्रकाशित की है।
उन्होंने कहा कि सरकारी/अर्द्ध सरकारी/निगमों/बोर्डों तथा शिक्षण संस्थानों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में हिमाचली शिल्पकारों द्वारा बनाए गए उत्पादों को स्मृति चिन्हों/उपहारों के रूप में बनाए जाने के आदेश सरकार ने जारी कर दिए हैं ताकि इससे शिल्पकारों की कला के लिए एक विशाल बाजार सृजित हो। विभाग एनआईएफटी कांगड़ा के साथ मिलकर इन शिल्पकारों के सांस्कृतिक स्वरूप को बचाते हुए आधुनिक उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए प्रयासरत है। शिल्प के सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए राज्य संग्रहालय तथा भाषा कला अकादमी से सम्पर्क किया जा सकता है। विभाग से जुड़े शिल्पकारों से सम्पर्क स्थापित करने के लिए कला साधक विवरणिका तैयार की गई है। इस विवरणिका को प्राप्त करने के लिए विभाग से सम्पर्क किया जा सकता है।