जर्मनी की दिग्गज कार कंपनी ऑडी के सीईओ रूपर्ट स्टैडलर को बर्लिन में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. स्टैडलर की गिरफ्तारी डीजल गाड़ियों की प्रदूषण परीक्षण प्रणाली में घोटाला करने के मामले में हुई है. ऑडी की पेरेंट कंपनी फॉक्सवैगन के प्रवक्ता ने बताया है कि स्टैडलर की गिरफ्तारी सोमवार को हुई और कोर्ट में पेशी के बाद मामले में पूछताछ के लिए उन्हें रिमांड पर दे दिया गया है.
फॉक्सवैगन एमिशन स्कैंडल या डीजलगेट की शुरुआत 2015 में हुई थी. तब यूनाइटेड स्टेट्स एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी (EPA) ने क्लीन एयर एक्ट के उल्लंघन के मामले में जर्मन ऑटोमेकर कंपनी Volkswagen ग्रुप को नोटिस भेजा था.
एजेंसी ने पाया था कि फॉक्सवैगन ने जानबूझकर लैबोरेटरी एमिशन टेस्टिंग के दौरान अपने एमिशन कंट्रोल्स को एक्टिव करने के लिए टर्बोचार्ज्ड डायरेक्ट इंजेक्शन (टीडीआई) डीजल इंजनों को प्रोग्राम किया था. इससे टेस्टिंग के दौरान गाड़ियों NOx आउटपुट अमेरिकी स्टैंडर्ड्स को मैच कर लेते थे. जबकि, वास्तविक दुनिया में ड्राइविंग के दौरान NOx का आउटपुट 40 गुना ज्यादा होता था.
2009 से 2015 के बीच फॉक्सवैगन ने ये सॉफ्टवेयर दुनियाभर के 1 करोड़ 10 लाख कारों लगाया था और अमेरिका के 500,000 कारों में इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया था. सॉफ्टवेयर ऐसा था जो टॉर्क को कंट्रोल कर एवरेज और कार का ओवरऑल परफॉर्मेंस बढ़ा देता था. वहीं, कार्बन एमिशन को घटा हुआ बताता था. उस वक्त यह बात भी सामने आई थी कि कंपनी ने एमिशन कंट्रोल सॉफ्टवेयर के नाम पर कस्टमर्स से 7 हजार डॉलर तक अतिरिक्त लागत वसूली थी.
साल 2009 में हुई यूएन क्लाइमेट मीट में अमेरिका, चीन, यूरोप समेत कई बड़े देशों ने ग्लोबल वार्मिंग को कम करने पर सहमति जताई थी. इसके लिए प्रदूषण कम करने की प्लानिंग हुई. ट्रांसपोर्ट से सबसे ज्यादा एयर पॉल्यूशन होता है. ऐसे में नई गाड़ियों को लेकर, अमेरिका समेत कई देशों ने इससे जुड़े नियम सख्त कर दिए थे. साथ ही नियमों को ना मानने वाली कंपनियों पर भारी जुर्माना का प्रावधान भी रखा गया था. इसी सख्ती के बाद साल 2009 के अंत में फॉक्सवैगन ने अपनी कार में एईसीडी (ऑक्सीलरी एमीशन कंट्रोल) नाम का सॉफ्टवेयर लगाकर EPA के पास टेस्टिंग के लिए भेजना शुरू किया था.