उपमंडल अधिकारी मनाली के कार्यालय के इर्द-गिर्द कई बिचौलिए घूम रहे हैं और मौका मिलते ही बर्फ दिखाने को लेकर सैलानियों को भारी चूना भी लगा रहे हैं। एनजीटी के आदेशानुसार हालांकि प्रशासन ऑनलाइन परमिट प्राप्त 400 डीजल इंजन और 800 पेट्रोल इंजन वाहनों को ही रोहतांग जाने की अनुमति दे रहा है, लेकिन लाहौल और लेह के लिए 800 वाहनों को ऑनलाइन परमिट प्राप्त करने की व्यवस्था है।
जबकि ऑनलाइन परमिट खत्म हो जाने के बाद एसडीएम कार्यालय में भी कुछ एक वाहनों को परमिट दे रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि डेढ़ हजार के लगभग वाहन मनाली से लाहौल और लेह के नाम से जा तो रहे हैं, लेकिन 80 प्रतिशत वाहन रोहतांग दर्रे से ही वापस आ रहे हैं। प्रशासन ने शर्त रखी है कि लाहौल में बुकिंग करने के बाद ही सैलानी परमिट प्राप्त कर सकते हैं। इसी शर्त का फायदा उठाते हुए कई दलाल सैलानियों को फर्जी होटल बुकिंग की स्लिप देकर मनमाने दाम वसूल रहे हैं।
एसडीएम कार्यालय में सुबह से शाम तक लाहौल व लेह के लिए परमिट प्राप्त करने वालों की भीड़ लग रही है। सोमवार को भी सैकड़ों सैलानी एसडीएम कार्यालय में लाइन में खड़े दिखे। गौरतलब है कि लाहौल के सभी होटल्स में कुल मिलाकर 600 बिस्तरों की ही व्यवस्था है और स्थानीय युवाओं द्वारा करीबन 400 टैंटों की व्यवस्था की गई है।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार लाहुल घाटी में चंद्रताल से लेकर सरचू तक होटल्स व टेंटों में दो हजार सैलानी ही ठहर सकते है। अगर लाहौल-स्पीति व लेह के नाम पर परमिट लेने वाले सभी वाहन रोहतांग दर्रा पार कर घाटी में दस्तक देते हैं तो उन्हें न तो रहने की व्यवस्था होगी और न ही खाने की। सैलानियों को फर्जी बुकिंग स्लिप देने वाले बिचौलियों पर प्रशासन लगाम नहीं लगा पा रहा है।
वहीं, एसडीएम मनाली रमन घरसंगी ने बताया कि बिचौलियों पर नजर रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि इस तरह का मामला सामने आया तो उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने सैलानियों से आग्रह किया कि वे इस तरह के बिचौलियों के झांसे में न आएं और लाहौल के नाम पर रोहतांग न जाएं।