प्रदेश में मई माह में तेन्दूपत्ता संग्रहण किया जाता है। संग्रहण सीजन में संग्राहक सुबह पांच बजे से दोपहर 12 बजे तक तपती धूप और जंगल की उबड़-खाबड़, पथरीली-कँटीली जमीन पर अक्सर नंगे पांव घूमते हुए तेन्दूपत्ते का संग्रहण करते हैं। जूते-चप्पल नहीं होने से पांव में काँटे- पत्थर चुभना इनके लिये आम बात है। मई महीने में तापमान भी अमूमन 40 डिग्री से अधिक ही रहता है। ऐसे में प्यास बहुत लगती है। इसके लिये तेन्दूपत्ता संग्राहक प्लास्टिक की बॉटल में पानी रखते हैं, जो एक दो-घंटे बाद ही बहुत गर्म हो जाता है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के संवेदनशील स्वभाव के समक्ष जब ये सब बातें आयीं, तो उन्होंने 18 अप्रैल 2017 को उमरिया में मध्यप्रदेश लघु वनोंपज संघ के प्रबंध संचालक श्री जव्वाद हसन को तेन्दूपत्ता संग्राहकों के प्रत्येक परिवार के एक पुरूष सदस्य को जूता एवं पानी की थरमोस्टेट बॉटल (सेलो) और महिला सदस्य को चप्पल, साड़ी और पानी की बॉटल देने के निर्देश दिये। श्री हसन ने योजना में सामग्रियों की उच्च गुणवत्ता के कड़े मापदण्ड तय करते हुए राष्ट्रीय स्तर की एजेन्सियों से जांच कराने की व्यवस्था की। अन्तत: दस लाख 80 हजार पुरूष और 10 लाख 45 हजार महिला संग्राहकों को वितरित करने के लिये अच्छी गुणवत्ता वाले जूते-चप्पल, साड़ी और पानी ठण्डा रखने के लिये बॉटल की व्यवस्था की गई।
मुख्यमंत्री ने सीधी जिले के तमसर में 19 अप्रैल 2018 को हुए तेन्दूपत्ता संग्राहक एवं श्रमिक सम्मेलन में चरण-पादुका योजना का शुभारंभ किया। तेन्दूपत्ता संग्राहकों को वर्ष 2016 का 207 करोड़ 54 लाख का बोनस वितरित किया जा चुका है। यह राशि तेन्दूपत्ता संग्राहकों के खाते में ऑनलाइन भेजी गयी। अगले साल वर्ष 2017 के लिये संग्राहकों को दोगुना से भी अधिक लगभग 500 करोड़ रूपये बोनस वितरण की संभावना है। बोनस की राशि भी इस लिये दोगुनी हुई है, क्योंकि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने तेन्दूपत्ते की शासकीय खरीदी दर, जो विगत वर्ष में 1250 रूपये प्रति मानक बोरा थी उसे इस वर्ष बढ़ा कर 2000 हजार रूपये प्रति मानक बोरा करने के आदेश जारी किये हैं।
तेन्दूपत्ते की बढ़ी हुई दरों के चलते प्रदेश में इस वर्ष लगभग 19 लाख मानक बोरा तेन्दूपत्ता संग्रहण हुआ है। शासन द्वारा इसके लिये 380 करोड़ रूपये की मजदूरी तेन्दूपत्ता संग्राहकों को बाँटी जा रही है। संग्राहकों को पिछले साल 292 करोड़ रूपये की मजदूरी का भुगतान हुआ था। तेन्दूपत्ता व्यापार से प्राप्त लाभ की राशि बोनस के रूप में संग्राहकों को दी जाती है। वर्ष 2015 में 71 करोड़ 32 लाख और वर्ष 2016 में 207 करोड़ 54 लाख रुपये बोनस संग्राहकों को दिया गया है।
मुख्यमंत्री द्वारा दी गई राहत सामग्री और प्रति मानक बोरा दर बढ़ाने का प्रभाव तेन्दूपत्ता संग्राहकों के चेहरे की चमक से साफ दिखाई देने लगा है।। सुजान सिंह, उर्मिला, पार्वती, दयाराम आदि तेन्दूपत्ता संग्राहक तो मुख्यमंत्री के सुखी यशस्वी जीवन की कामना करते नहीं थकते। तेन्दूपत्ता संग्राहक कहते हैं कि मुख्यमंत्री ने हमारे दुख-दर्द को समझा और लगातार वर्ष 2005-06 में संग्रहण दर 400 रुपये प्रति मानक बोरा, वर्ष 2007 में 450 रुपये, वर्ष 2008 और 2009 में 550 रुपये, वर्ष 2010-11 में 650 रुपये, वर्ष 2012 में 750 रुपये, वर्ष 2013 में 950, वर्ष 2014 से 2015 तक 950 रुपये, वर्ष 2016 में 1250 रुपये और 2017-18 में 2000 रुपये प्रति मानक बोरा कर दिया है। तेन्दूपत्ता संग्रहण का मूल्य बढ़ाकर मुख्यमंत्री ने हमें बहुत बड़े संकट से उबारा है। उर्मिला कहती है कि जब गर्मी की भरी दोपहरी में हम प्यास से परेशान होकर अपनी प्लास्टिक की बॉटल से पानी पीते थे, तो पानी उबल चुका होता था। अब ठण्डे पानी की बॉटल में रखा पानी 24 घंटे बाद भी ठंडा ही मिलता है। पहले हमारे पास छोटी सी प्लास्टिक की बॉटल थी, जिसमें कम पानी आता था। अब पानी कम नहीं पड़ता और इस बॉटल को लाना-ले-जाना भी आसान है। चप्पल-जूते मिल जाने से अब जंगल में कंकड़ और कांटे चुभने की समस्या से भी मुक्ति मिल गई है। नई-नई साड़ी मिलने से हम महिलाओं में बिना त्यौहार के ही उत्सव का माहौल छा गया है।