जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती सरकार गिरने के बाद बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य में राज्यपाल शासन को मंजूरी दे दी है. भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को राज्य सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद महबूबा मुफ्ती ने अपना इस्तीफा राज्यपाल एनएन वोहरा को सौंप दिया था.
महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद उमर अब्दुल्ला ने भी राज्यपाल से मुलाकात की थी. जम्मू-कश्मीर में नई सरकार बनने की कोई स्थिति दिखाई नहीं दे रही थी, इसी के साथ राज्यपाल ने राष्ट्रपति को राज्यपाल शासन लगाने की सिफारिश भेजी थी.
आपको बता दें कि मंगलवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर बीजेपी नेताओं के साथ बैठक की थी, जिसके बाद बीजेपी ने अपना समर्थन वापस लेने का ऐलान किया था.
मंगलवार को बीजेपी नेता राममाधव ने पीडीपी से समर्थन वापस लेने का ऐलान करते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में स्थिति काफी बिगड़ी है, जिसके कारण हमें ये फैसला लेना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रधानमंत्री, अमित शाह, राज्य नेतृत्व सभी से बात की है. सरकार गिरने के बाद बीजेपी ने जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाए जाने की मांग की थी.
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में डर की नीति नहीं चलेगी. उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियां अलग-अलग विचारधारा को मानती हैं, लेकिन फिर भी सत्ता के लिए नहीं बल्कि बड़े विजन को साथ लेकर हमने BJP के साथ गठबंधन किया था. महबूबा ने कहा कि सरकार के जरिये वह कश्मीर में अपना एजेंडा लागू करवाने में सफल रही हैं. महबूबा का कहना है कि कश्मीर के लोगों से बातचीत होनी चाहिए, पाकिस्तान से बातचीत होनी चाहिए, ये उनकी हमेशा से कोशिश रही है.
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा के एक फोन कॉल के साथ राज्य की मुख्यमंत्री के रूप में महबूबा मुफ्ती के कार्यकाल का अचानक अंत हो गया. मंगलवार को वोहरा ने ही महबूबा मुफ्ती को फोन कर बताया कि बीजेपी ने पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ लिया है.
सोमवार का दिन महबूबा के लिए दूसरे कामकाजी दिन की ही तरह था. वह सिविल सचिवालय में अपने कार्यालय में थीं जब मुख्य सचिव बीबी व्यास के पास राज्यपान का फोन कॉल आया और उन्होंने व्यास से तुरंत मुख्यमंत्री के साथ बात कराने को कहा.